Hindi Writing Blog: अप्रैल 2020

बुधवार, 15 अप्रैल 2020

वैश्विक महामारी: COVID-19 से हम क्या खो रहें...क्या पा रहें...

COVID-19 Environment

दोस्तों आज पूरी दुनियाँ संकट के उस दौर से गुजर रही है जहां इंसानी वजूद पर ही लगभग प्रश्न चिन्ह(?) लगता दिखाई दे रहा है, November 2019 को चीन के Wuhan से शुरू हुई COVID-19 नाम की इस महामारी ने जिस तरह इंसानी ज़िंदगियों को लीलना शुरू किया उससे पूरी दुनियाँ के सामने इन्सानों के शरीर की अंतिम प्रक्रिया यानि दफनाए जाने/ जलाए जाने के लिए भी एक चुनौती पैदा कर दी है, इसमें कोई शक नहीं| दुनियाँ भर के विकसित और विकासशील देशों ने इस महामारी के सामने घुटने टेक दिये लेकिन इन सब के बीच Medical Treatment के अभाव में इस बीमारी से निपटने के जो तरीके दुनियाँ ने निकाले वो बढ़ती आबादी और पर्यावरण असंतुलन की मार झेल रही इस धरती के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है| इस महामारी से लड़ने के लिए Social Distancing और Country Lockdown के जिस formula को दुनियाँ भर के देश तरजीह दे रहे हैं वो दुनियाँ पर मंडराए इस संकट के बादल में रिमझिम फुहार जैसा है बावजूद इसके कि इस संकट के चलते हम जन और धन हानि की भयानक मार झेल रहे हैं|
दोस्तों ये सिलसिला नया नहीं अपितु लगभग 400 सालों से हर 100 के अंतराल पर दुनियाँ को झकझोरने वाली प्लेग(1720), कालरा(1820), Spanish Flu (1920) जैसी महामारियों की शृंखला की अगली बीमारी है COVID-19 (2020) जिसने दुनियाँ भर के लोगों को भले ही आज चार दीवारों में कैद रहने को मजबूर कर दिया हो लेकिन वक्त के साथ मानवीय सभ्यता इस पर जीत अवश्य हासिल कर लेगी बावजूद इसके मानव प्रजाति को बचाने में आज भले ही पूरी दुनियाँ COVID-19 नाम के इस अदृश्य ताकत से लड़ रही हो लेकिन इससे पहले इस धरती पर पर्यावरण असंतुलन की दृश्य चुनौती को यही मानव प्रजाति पूरी तरह ignore भी करती आई है क्योंकि उसका परिणाम आने में थोड़ी देर जो थी|
Corona Environment

दोस्तों, Corona Virus नाम के इस virus ने भले ही आज पूरी दुनियाँ को negative energy से घेर रखा हो लेकिन इन सब के बीच positive घटनाक्रम इतने ज्यादा फलदायी हैं कि दुनियाँ भर के पर्यावरण विद् ये कहने को मजबूर हैं कि अब तो हर साल पूरी दुनियाँ में 2 weeks का lockdown होना ही चाहिए क्योंकि Corona virus से चली इस लड़ाई में nature ने खुद को heal करना शुरू कर दिया है इतना ही नहीं धरती के कंपन तक में लगभग 30% से 50% की कमी दर्ज की गयी है, Ozone परत में भी सुधार हुआ है, प्रदूषण स्तर कम होने पर हवाएँ शुद्ध हैं तो बहती नदियां भी स्वच्छ हो चली हैं| दोस्तों, प्रकृति की ये वो धरोहरें हैं जिनके बिना मनुष्य जीवन की कल्पना ही बेमानी है और यहाँ ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि मौत की वजह मात्र एक virus ही नहीं होता और भी वजहे हैं जो जीवन को खत्म करने की ओर इस समग्र मानवीय सभ्यता को ढकेले जा रही थी| ऐसे में विकास की कीमत चुकाती ये धरती अभी सबकुछ सहती जा रही थी लेकिन ये बाद में हमें ब्याज सहित वापस भी कर देगी लिहाजा अब तो आने वाले वक्त की यही जरूरत है कि इंसान गलतियों से सबक ले और COVID-19 की इस चुनौती से लड़ने में “Stay Home, Stay Safe” की policy अपनाकर अपना योगदान दे क्योंकि ये virus हमसे सबकुछ छीन ही नहीं रहा बल्कि हमें बहुत कुछ दे भी रहा है, जिसमें प्रकृति के संतुलन से लेकर, अपनों का साथ, मुश्किल हालत में लड़ने की ताकत, समग्र भारत के माथे सजती एकता की गर्वानुभूति, वैश्विक स्तर पर हमारे राष्ट्र की नयी पहचान और पूरी दुनियाँ से सीधा संवाद करती ये सोच की विकास और प्रतिस्पर्धा की वेदी पर पर्यावरण और मानवीय जीवन की बलि बस अब और नहीं, ये वो सकारात्मक परिवर्तन हैं जो हमें COVID-19 पर विजय प्राप्त करने के बाद प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देंगे और शायद तभी हम वास्तव में ये समझ पाएंगे कि वैश्विक महामारी: COVID-19 से हम क्या खो रहें...क्या पा रहें...
                                            जय हिन्द, जय भारत....