मिटाये
से न मिटेगी कभी साख भारत की
झुकाये
से न झुकेगी कभी शान भारत की |
बदल
दे इतिहास के रुख को
वो
है पहचान भारत की ||
वो
है पहचान भारत की...
"जहां
डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती थी बसेरा, वो भारत देश है मेरा" गीत की कुछ पंक्तियाँ जब भी कभी कानों मे
पड़ती है तो हम सभी भारतीयों के मन मे ऊर्जा का ऐसा ज्वार प्रस्फुटित होता है जो हमारी
भावनाओं को सीधा राष्ट्र प्रेम से ले जाकर जोड़ देता है, फिर हमारा मन तरह-तरह की कल्पनाओं
मे खो जाता है कि क्या वाकई कभी हमारा देश "सोने की चिड़िया" था? तो हमारे इन प्रश्नों
का उत्तर देती है मीडिया क्षेत्र मे परिचर्चा का विषय बनी ब्रिटिश अर्थशास्त्री "एंगस मेडिसन" की "द वर्ल्ड इकॉनमी..." रिपोर्ट जिसमे
उन्होने पहली सदी से लेकर बीसवीं सदी तक की विश्व अर्थ व्यवस्था का पूरा लेखा-जोखा
दिया है और उसमे उन्होने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण
के पूर्व सुपर पावर होने का तमगा हासिल करती थी|
ये विवरण कोई नया नही है क्योंकि हमारे
देश का इतिहास भी इस बात की पुष्टि करता है कि सनातन काल से ही हमारा राष्ट्र दुनिया
की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति था परंतु भारत की संपन्नता के आकर्षण मे बंधे विदेशी आक्रांताओं
ने हमारे देश को लूट कर खोखला कर दिया और इसके निवासियों को निर्धनता के दलदल मे डुबो
दिया|
इन सब के बावजूद वर्तमान परिवेश मे हमारा
देश न केवल इन झटकों से क्षति पाने के बाद भी उठ खड़ा हुआ अपितु अपनी प्रगति से इसने
पूरी दुनिया को अचंभित भी कर दिया|
धन्य है मेरा देश भारत!
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