नये वर्ष की दस्तक से, पुलकित मन का आँगन है
जीवन की इस मधुरिम बेला मे, आप सभी का स्वागत है |
छोड़ गया है साल पुराना, अमिट धरोहर यादों की
नये वर्ष ने पाँव पसारा, लेकर उम्मीद मुरादों की ||
जीवन की इस मधुरिम बेला मे, आप सभी का स्वागत है |
छोड़ गया है साल पुराना, अमिट धरोहर यादों की
नये वर्ष ने पाँव पसारा, लेकर उम्मीद मुरादों की ||
("कैलाश
कीर्ति (रश्मि)" द्वारा रचित)
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