Hindi Writing Blog: भारत के अतीत का गौरवशाली इतिहास: मात्र महिमामंडन या हकीकत

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

भारत के अतीत का गौरवशाली इतिहास: मात्र महिमामंडन या हकीकत



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आज हम भारतीय पूरी दुनिया मे गर्व से सर ऊंचा कर ये कहते नही थकते हैं कि " हम भारतीय हैं और हमें हमारी राष्ट्रीयता पर नाज़ है| "

क्या? हमने ये कभी सोचा है कि हम भारतीयों के मनः पटल पर उकरी गर्व की ये अनुभूति हमें कहाँ से मिलती है, तो इसका सीधा उत्तर हमारे इतिहास मे छिपा है जहां से हमें वो ऊर्जा प्राप्त होती है जो सनातन काल से ही हमें विश्व नेतृत्व की क्षमता प्रदान करती है और ये मात्र हमारे इतिहास का महिमामंडन नही है अपितु यही हकीकत है| 

इतिहास साक्षी रहा है कि हमारे देश को विदेशी आक्रांताओं ने बार-बार लूटा है परंतु इन सबके बावजूद हमारे राष्ट्र के सामाजिक और सांस्कृतिक संस्कार इतने गहरे रहे हैं कि वो उखड़ने के बजाय हमेशा समृद्ध हुए हैं| 

आज मैं भारत के उस गौरवमयी इतिहास की बात कर रही हूँ जिसने दुनिया को समय-समय पर प्रगति के अनमोल तोहफे तो दिये लेकिन जिनके पद-चिन्हों को आगे बढ़ाने की होड़ मे शायद आज हम थोड़े पीछे रह गए हैं चाहे वो भारत के महर्षि कणाद का परमाणु सिद्धान्त हो या फिर ऋषि भारद्वाज का वायुयान की खोज का सिद्धान्त, इन सभी कड़ियों मे और नाम भी हैं जैसे प्राचीन गणितज्ञ और पाइथागोरस सिद्धान्त से पूर्व ही ज्यामिती के सूत्र रचने वाले बौधायन, न्यूटन से पाँच सौ वर्ष पूर्व ही गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त को जाननेवाले ऋषि भास्कराचार्य, भारत के मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक की संज्ञा से विभूषित योगसूत्र के रचनाकार पातंजलि, आयुर्वेद के महत्वपूर्ण ग्रंथ चरक संहिता के जनक ऋषि चरक, शल्य चिकित्सा के आविष्कारक ऋषि सुश्रुत, रसायन शास्त्र और धातु विज्ञान के प्रस्तोता नागार्जुन, दुनिया को पहला व्याकरण देने वाले पाणिनी, थॉमस एलवा एडीसन के पहले ही बिजली के आविष्कार संबंधी ज्ञान देने वाले ऋषि अगस्त्य, महान गणितज्ञ और भविष्यवक्ता आर्यभट्ट, ये सभी कभी भारत की पहचान थे और जिन्होने आज हमपर उस परंपरा को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी सौंपी है| 

ऐसे मे हम सभी का ये उत्तरदायित्व है कि हम इतिहास पुरुषों के द्वारा दिये गए ज्ञान को अपना संबल बनाएँ और ऐसे भारत के निर्माण मे सहयोग दें जो युगों-युगों तक महिमामंडित होता रहे| 






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