नव गीत है, नव गीत है,
प्रभु राम की यह
सीख है ।
जीवन चले जिस ओर
तू,
ले चल मना! उस ओर
तू ।
क्यूं सोचता कुछ
और है,
और करता कुछ और ही
।
जबकि तेरे तो संग
है प्रभु,
राम का संकल्प सीधा,
तेरे कर्मों से ही
जुड़ेगा,
जीवन का निष्कर्ष
अब ।
क्यूं पड़ा किसी होड़
में तू,
जबकि तेरे तो संग
है प्रभु,
राम का संकल्प सीधा
।
मन की अधीरता त्याग
दे,
ले उचित मंतव्य अब
।
ज्ञानगंगा बह उठेगी,
जीवन भी होगा सहज
।
नव गीत है, नव गीत है…
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव “कैलाश कीर्ति”
आप सभी को रामनवमी
की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
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