चैत्र
माह की शुक्ल प्रतिपदा,
ले
आई खुशियां अपार ।
प्रकृति
हिलोरें भरकर गा रही,
सृष्टि-सृजन
का राग ।
कहीं
उगादि,कहीं गुड़ी पड़वा,
कहीं
चैत्र नवरात्र नाम अलग हैं ।
पर
पर्व एक हो देते ये,
संदेश
जनमानस की एका,
होगी
कभी न खंडित ।
क्योंकि
नूतन वर्ष बढ़ा रहा स्वयं,
राष्ट्र
संस्कृति मान ।
भिन्न
प्रांत हैं, भिन्न है भाषा,
पर
उत्सव संग जुड़ी अभिलाषा ।
जन-मन
को आपस में जोड़े,
नदियां,पर्वत, सागर गहरे
और,
खिलखिलाते
मौसम सारे ।
प्रकृति
संग हम सबकी यारी,
चमकाएगी
धरती सारी ।
चैत्र
माह की शुक्ल प्रतिपदा…
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव “कैलाश कीर्ति”
माँ के आगमन से आज पावन हो चली धरा अगले नौ दिनों
तक हम सबक़ो माँ के भिन्न-भिन्न रूपों संग जीवन के इन अनमोल पलों को बिताने और उनके
आशीर्वचन के सानिध्य का सौभाग्य हम सबकी झोली में सुख और समृद्धि का उपहार बनाकर बरसाने
की ओर उन्मुख है बस आवश्यकता है माँ के चरणों में अपने नयनों को स्थिर कर देने की,तो आइये मित्रों
माँ के आगमन के साथ हिन्दू नववर्ष का भी स्वागत कर जीवन को उन्नति के मार्ग की ओर अग्रसरित
करें।
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