Hindi Writing Blog: जीवनदायी जल की कीमती बूंदें...

शनिवार, 19 जनवरी 2019

जीवनदायी जल की कीमती बूंदें...

नीर हूँ मैं नीर हूँ…

सृष्टि में सर्वत्र हूँ

पर प्रयोग में विभेद हूँ

जीव का मैं मूल हूँ

पर जीव से ही दूर हूँ ॥

मेरे है ये वेदना

मुझको होगा रोकना ।

वरना मैं लुप्त हूँ

क्यूंकि मैं नीर हूँ...

क्यूंकि मैं नीर हूँ...       

     ("कैलाश कीर्ति (रश्मि)" द्वारा रचित)


                                                 
Precious Water


नीर अर्थात “जल” धरा पर ईश्वर द्वारा मानव जीवन को सौंपी गयी एक ऐसी भेंट है जिसके बिना हम अपने इस अमूल्य जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते| आज मैंने परिचर्चा के लिए जल को इसलिए चुना क्योंकि इस बर्फीली सर्दी में भी जब मैंने महानगरों की ऊँची इमारतों की ओर नजर दौड़ाई तो मुझे इन गगनचुम्बी इमारतों के आगे टैंकरों से जल चढाती पाइपों की अनगिनत संख्या दिखाई पड़ी, क्या कर दिया है? हमने अपनी इस धरती का कि बिना मूल्य दिए उपयोग में लाये जाने वाले जल को हम आज मूल्य चुकाकर क्रय कर रहे हैं| अभी तो शायद इतनी देर नहीं हुई लेकिन अगर अब भी हम और आप नहीं चेते तो जीवनदायी ये जल मूल्य चुकाकर भी हमें नहीं मिल पायेगा| अपनी चेतना को अगर हम शहरों के दायरे से निकालकर ग्रामीण इलाकों की ओर ले जाते हैं तो स्थिति और भी भयावह हो चुकी है जहाँ उपयोगी जल की कमी फसलों के साथ-साथ मानव जीवन को भी लील रही है|

हमारी धरती पर वैसे तो नमकीन पानी के महासागरों के रूप में 97% जल है और केवल 3% ही हमारे उपयोग के लायक है, परन्तु मानव जीवन के लिए उपस्थित ये 3 % जल भी लगातार हो रहे प्रकृति दोहन के चलते हमसे दूर होते जा रहे हैं जिसका सीधा संकेत हैं जमीन के अंदर भी जल का गिरता भू स्तर जो हम सभी के लिए चिंताजनक है|

शायद हममें से कोई भी ऐसा नहीं होगा जो इन आकड़ों से अवगत न हो और इतना ही नहीं इस समस्या  के समाधान से भी सभी परिचित हैं कि ईश्वर प्रदत्त वर्षा जल को संचित कर व अपनी धरती को प्रदूषण से मुक्त कर हम जल को बचा सकते हैं| हम सब में से बहुत से लोग ऐसा  कर भी रहे हैं वो प्रकृति को इस कमजोर स्थिति से उबारने में लगे हैं परन्तु जब तक हमारे राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक जल बचाओ अभियान से नहीं जुड़ेगा तब तक दिन प्रतिदिन भयावहता की सीमा लांघ चुकी इस समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा|

 मैं ये नहीं कहती कि हम सभी वर्षा जल संरक्षण करना शुरू कर दें परन्तु अगर हम अपने-अपने घरों में जल का आवश्यकतानुसार प्रयोग शुरू कर दें तो इतना ही काफी होगा हमारे योगदान के लिए और मुझे उम्मीद है कि हमारी ये छोटी कोशिश रंग जरुर लाएगी क्योंकि वर्तमान स्थिति इस बात की ओर इशारा कर रही है कि जल की कमी से न केवल हमारा देश अपितु विश्व के अधिकांशत: भाग छद्म लड़ाई लड़ रहे हैं| ऐसे में मेरी और आप की आज उठी एक पहल आने वाले भविष्य के लिए जरूर एक सार्थक प्रयास सिद्ध होगी|

 

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