आज "विश्व हिन्दी दिवस" है, सोचकर ही कितने गर्व का ही अनुभव प्राप्त हो रहा है और हो भी क्यों न आज हम सब की मातृ भाषा "हिन्दी" के सम्मान का दिन जो है| अब लगता है कि हम वाकई आजाद हैं क्योंकि सन 1947 के बाद मिली आजादी ने तो हमें सिर्फ अंग्रेजों से मुक्ति दिलाई थी उनके द्वारा दी गयी अंग्रेजी भाषा की गुलामी मे तो हम सब अभी तक जकड़े थे, हालांकि भारत में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाने वाली हमारी मातृ भाषा हिन्दी को 14 सितंबर 1949 को ही राज भाषा का दर्जा मिल गया था परंतु एक लंबे समय तक अंग्रेजी शासन के चलते हमारी भाषा को अहमियत थोड़ी देर से मिली फिर भी आजादी बाद आए इस बदलाव ने लगभग 72 वर्षों का समय अवश्य लिया परंतु हमारे भारत वंशियों के विदेश प्रवास के चलते हमारी ये भाषा राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छा गयी|
आज की वर्तमान स्थिति जो आंकड़ा प्रस्तुत करती है वो
हमारी अपनी भाषा हिन्दी को विश्व मे सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं की श्रेणी मे लाती
है, हमारी भाषा की ये कामयाबी हमें थोड़ी देर के लिए आह्लादित भले करती है परंतु अभी
भी कुछ कमी सी लगती है जिसकी वजह शायद ये है कि हम हिन्दी को भिन्न-भिन्न मंचों पर
सम्मान दिलाने की बात तो करते हैं पर वक्त पड़ने पर उसी हिन्दी से मुंह फेर अंग्रेजी
की गिरफ्त मे आ जाते हैं, खैर...|
सोशल मीडिया, मीडिया और अन्य पाठ्य पुस्तकों में बढ़ता
हिन्दी का दखल अच्छा लगता है परंतु साथ आयी "हिंगलिश"
हमें ये सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे हिन्दी शब्द कोश मे उतने शब्द नही हैं या
फिर अंग्रेजी की गिरफ्त आसानी से हमें अपनी भाषा मे सहज नही होने दे रही|
ऐसे मे आइये इस विश्व हिन्दी दिवस पर हम सब मिलकर
ये संकल्प लें कि हम अपनी हिन्दी को यहाँ से और आगे लेकर जाएँगे ताकि हिन्दी बोलने
वालों के मन मे अपनी भाषा को लेकर उपजने वाली हीन भावना सदा के लिए जड़ से समाप्त हो
जाये और हम सब भाषा से मिले इस बल से उन्नति
का नया मार्ग सृजित करें|
जय हिन्द, जय हिन्दी!!!
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