COVID-19 के चक्रव्यूह में फंसी दुनियाँ
जल्द ही इस वैश्विक महामारी पर विजय प्राप्त कर इस संकट से बाहर निकल आए ताकि मानवता
एक बार फिर झूमकर गाए| इसी आकांक्षा में वर्तमान को समर्पित कुछ
पंक्तियाँ:
है
कैसा वक्त ये आया,
डरा
इंसान से, इंसान का साया |
सूनी
पड़ी गलियों में,
मंजर
खौफ का छाया ||
है
कैसा वक्त ये आया...
कहीं
लाचार है जनता,
कहीं
बेबस प्रशासन है |
ली
है धर्म ने छुट्टी,
लगी
विज्ञान की ड्यूटी ||
है
कैसा वक्त ये आया...
कितना
विस्मित नजारा है,
घरों
में कैद बैठे हम |
सड़कों
पर अब,
जंगल ये सारा है |
रची
धरती विधाता ने,
बनाया
स्वर्ग से सुंदर ||
बिगाड़ा
खेल ये सारा,
इन्सानों
के दिमागों ने |
उबर
जाए ये जग सारा,
अब
बस उम्मीद इतनी है ||
है
कैसा वक्त ये आया...
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव
(कैलाश कीर्ति)
अद्भुत
जवाब देंहटाएंधन्यवाद...
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