वैश्विक महामारी कोविड -19 के चलते लगे प्रतिबंधों ने भले ही होली के त्योहार को दायरों में बांध दिया हो, बावजूद इसके अपने अपनों को घरों में सुरक्षित रखकर मनायी जाने वाली इस होली को लेकर मन का उल्लास और हर्ष कहीं से भी कम नहीं है, पर बंधी-बंधी सी इस होली पर यह उम्मीद जरूर है कि.....
गुज़र जाएंगी ये घड़ियाँ
समय फिर
लौट आएगा
“होली
है” की रंग लहरी
जब फिर गलियों में गूँजेगी
दीवानी
होगी तब होली
जब बच्चों की टोली
फिर हुड़दंग मचाएगी
“करोना मुक्त हो” धरती
ये कोशिश रंग लाएगी
गुज़र
जाएंगी ये घड़ियाँ...
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव “कैलाश कीर्ति”
बस इसी उम्मीद के साथ कि फिर से दुनिया पहले जैसी हो जाए और सामाजिक समरसता बिखेरती होली का जल्द से जल्द पुराना मद-मस्त अंदाज वापस लौट आए....
आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ
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