वतन पर मर मिटने की सदाएँ जब भी आएंगी
चमक जाएगा हर चेहरा दिशाएँ गीत
गाएँगी
वतन पर मर मिटने की सदाएँ जब भी आएंगी...
आग से खेल जाएगा हर कोई, हटा कर भेद सब सारे
खनकती चूड़ियों वाले हाथों में भी खड्ग होगी
वतन पर मर मिटने की सदाएँ जब भी आएंगी...
लहरा उठेगा तिरंगा, मिटा जाएंगी दूरियाँ सारी
राखी बंधे हाथों में भी तब खंजर होगा
वतन पर मर मिटने की सदाएँ जब भी आएंगी...
बड़े-छोटे, तेरे-मेरे, अपने-पराए के हर दर्द को पीछे छोड़ जाएंगी
वतन पर मर मिटने की सदाएँ जब भी आएंगी...
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव
“कैलाश कीर्ति”
जोश जुनून और हर्षोल्लास के मनोभावों
को एकता और एकजुटता के बंधन में बांधते भारत राष्ट्र के 75वें स्वतन्त्रता दिवस की
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई
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