मतवारी फागुन की बयरिया
छेड़े है तान मनोहर, होली रंग बरसाने को,
मन का पपीहा बन मयूर
नाचे फागुन के रंग में रंग जाने
को,
मेरी प्यारी सखियों
अब तुम सब मोहे इतना बता दो,
नीला, पीला, लाल लगाऊँ
या खेलूँ हरियाली होली,
कान्हा संग मोहे कौन जंचेगी
ब्रज की होली या मथुरा, वृन्दावन, बरसाने की,
मतवारी फागुन की बयरिया...
राधा संग सब करें ठिठोली
कान्हा रंग लगाने को,
अबकी होली रंग जा राधा
प्रीत रंग में कान्हा के,
प्रीत रंग से बढ़कर दूजा
रंग नहीं मन भाने को,
मतवारी फागुन की बयरिया...
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव “कैलाश कीर्ति”
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