Hindi Writing Blog: जुलाई 2023

रविवार, 16 जुलाई 2023

सावन की बूंदें

 



सावन की मनोहारी बूंदें

गाएँ बरखा राग,

कहीं रौद्र तो कहीं शांत हो

देती हैं संदेश ।

प्रकृति विनाश तो प्रकृति सृजन भी

दोनों पहलू एक,

ज्ञान अधूरा कहलाएगा

जो चुना नाश का साथ ।

सृजन संग ले चल कारवां

काहें करे विनाश,

मन अधीर मानव का तन

पर देना होगा साथ ।

किंकर्तव्यविमूढ़ बना अगर तू

वक्त कभी न देगा साथ,

सम्हाल सृष्टि अब समय शेष जो

वरना जीवन की यह भौतिक माया

छीन लेगी प्रकृति की छाया ।

न सृष्टि रहेगी न ये जीवन,

बस चहुं हो ओर दिखलाई देगा

बरखा का ये जल ही जल ।

कहीं रौद्र तो कहीं शांत हो

बच जाएंगे दोनों अब भी

जो हमने प्रकृति हित में कदम उठाया,

अपनी धरती चलो बचाएं

प्रकृति माँ का साथ निभाएँ ।

सावन की मनोहारी बूंदें देती हैं संदेश...

                 स्वरचित “कैलाश कीर्ति” रश्मि श्रीवास्तव