समय चक्र की अविरल धारा, करती है गुणगान देश का |
कहती है हर पल वो हमसे, शीश झुकाकर कर लो वंदन ||
उन वीरों का, जो हैं अभिमान देश का |
कालजयी है उनकी भी गाथा, जिन्होंने रचा है विधान देश का ||
शत् शत् नमन है उनको भी, जो हैं स्वाभिमान देश का |
जब जनता का शासन, जनता के लिए, जनता के ही द्वारा है ||
तो फिर कैसा ये द्वंद-सा चल रहा, देश के कोने-कोने में |
भटक रही क्यों युवा शक्ति, जो प्राण वायु है भारत की ||
सिमट गयी क्यों एका अपनी, जिसपर गर्व था भारत को |
अभी वक्त है देर न हुई, राष्ट्र को स्व-राष्ट्र बनाने में ||
राष्ट्र हित को सर्वोपरि कर, चलो बनाएँ भारत अपना |
सहज होंगी राहें अपनी, पूरा होगा हर एक सपना ||
समय चक्र की अविरल धारा, करती है गुणगान देश का....
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव (कैलाश कीर्ति)
मेरी तरफ से आप सभी को भारतीय गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...
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