Hindi Writing Blog: मार्च 2020

सोमवार, 30 मार्च 2020

COVID-19 (SARS-CoV-2): अब बस ऐसा ही हो...



अयम निज: परो वेति गणना लघु चेत्र साम् |
उदार चरितानाम तू वसुधैव कुटुंबकम् ||

भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में अंकित महोपनिषद अध्याय 4 के श्लोक संख्या 71 में लिखा गया यह श्लोक मात्र श्लोक भर नहीं बल्कि ये हम भारतीयों की वो सोच है जिसका पालन हम भारतीय अपने जीवन के हर आचरण में पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं और कामना करते हैं कि

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिन:
सर्वे संतु निरामया: |
सर्वे भद्राणि पश्यंतु
मा कश्चिद्दु:खभाग्मवत् |
ऊँ शांति: शांति: शांति: ||
अर्थात,
सभी सुखी होवें, सभी रोग मुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को दुख का भागी ना बनना पड़े|
लेकिन दोस्तों, जैसा कि हम सब जानते हैं मौजूदा हालात में हमारी इन भावनाओं को जैसे ग्रहण लग गया है और ग्रहण का कारण बनी है COVID-19 नाम के virus से फैली ये वैश्विक महामारी जिसने धीरे-धीरे कर पूरी दुनियाँ को अपनी जद में ले लिया है| दुनियाँ भर की मानव जाति आज खतरे में है और विश्व स्तर पर इस आपदा से निपटने के प्रयास भी किए जा रहे हैं, लेकिन कोई सटीक Vaccine या टीके की अनुपलब्धता और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में transfer होने के गुण के चलते इस महामारी ने जहां पूरी दुनियाँ में लगभग 7,01,525 से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया है वहीं लगभग 33174 लोगों को मौत की नींद सुला दी है|
ऐसे में हम सभी का ये दायित्व बन जाता है कि इस जानलेवा बीमारी की जद में ना ही हम खुद आएँ और ना ही दूसरों को आने दें और अलग-अलग देशों में सरकार और system द्वारा जारी की गयी advisory का पालन करें ताकि इस virus के आतंक से पूरी दुनियाँ मुक्त हो सकें|
दोस्तों, ये तो थी आज की स्थिति लेकिन क्या आज जैसे जो हालात पूरी दुनियाँ में बनें हैं उसे बदला जा सकता था? तो मेरी राय में इसका बिल्कुल सीधा सा उत्तर हैजी हाँ| जब चीन के Wuhan शहर में इस virus ने अपना असर दिखाना शुरू किया और देखते ही देखते पूरे शहर को घरों में कैद हो जाने के लिए मजबूर कर दिया तो ठीक उसी वक्त अगर पूरी मानव जाति और दुनियाँ के नक्शे में अंकित देशों ने धैर्य और संयम से काम लिया होता और अपने-अपने देश की अंतराष्ट्रीय सीमाओं को कुछ समय के लिए सील कर लिया होता तो शायद आज हालात कुछ और होते क्योंकि चीन ने जब 6 जनवरी को इस बीमारी के बारे में पूरी दुनियाँ को बताया तब से लगभग 2 महीने के कम समय में ही उसने इस बीमारी पर जीत हांसिल कर ली| मेरे लेख लिखे जाने तक चीन इस बीमारी से बाहर आ चुका है, वहाँ जन-जीवन सामान्य हो चुका है लेकिन बाकी दुनियाँ पर संकट बना हुआ है| ऐसे में हमारी तत्परता और wait and watch की नीति ने शायद इस बीमारी को पूरी दुनियाँ तक फैलने से रोकने में अहम भूमिका निभाई होती, बावजूद इसके आज भी जब दुनियाँ भर की सरकारें और system हम सभी से हाथ जोड़कर ये appeal कर रहे हैं कि इस virus के खिलाफ लड़ी जाने वाली लड़ाई में हम stay home, stay safe के formula को अपनाकर इस चुनौती से लड़ने में उनका साथ दें तो भी हम में से कुछ लोग आज भी वो तत्परता दिखाते नजर नहीं आ रहे हैं जिसे शुरुआती दौर में ना दिखाने की कीमत हम इतना कुछ गवांकर आज चुका रहे हैं|

इसलिए दोस्तों, आप सब से मेरी यही appeal है कि अभी भी वक्त है आगे बढ़कर system द्वारा जारी advisory का सटीक पालन करें और अपनी इस प्यारी सी धरती को इस deadly virus के चंगुल से मुक्त कराने में अपने सहयोगात्मक भूमिका निभाएँ ताकि हमारी धरती फिर से मुस्कराए (😊), तो आइये हम सब मिलकर एक बार फिर से बस यही कामना करें सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वेसंतु निरामया:....”

मंगलवार, 10 मार्च 2020

होली की शुभकामनाएँ

Happy Holi


होली पर अनमोल वचन लें, जीवन को अब तोल-मोल लें,
रंगों की भरी पिचकारी में, प्रेम-सौहार्द का रंग भी घोल लें,
दुश्मन आँख गड़ाए बैठा, सीमाओं पर देश की,
घर के अंदर खेल रहे हम, होली अपनों के खून की,
कैसी कटुता भरी पड़ी है, आज हमारे सीनों में,
भूल गए क्यों इतनी जल्दी, आजादी के छालों को,
नासूर बन गए जाति-धर्म का, दहन-होलिका हो जाए,
बहे राष्ट्र में प्रेम की गंगा, उन्नति भी खूब लहराए,
फूले-फले भारत माँ का आँचल, रंग तिरंगा चढ़ जाए,
होली पर अनमोल वचन लें...
             स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव (कैलाश कीर्ति)

आप सभी को मेरी तरफ से होली की हार्दिक शुभकामनाएँ...

रविवार, 8 मार्च 2020

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

 
International Women's Day


अखिल विश्व की नारी शक्ति को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

दोस्तों, भारत सहित दुनियाँ भर के 68 देशों में लोगों को अपना शिकार बना रहे Corona Virus के साथ देश कि  राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा ने भी मानव धन क्षति के चलते अन्तर्मन को काफी व्यथित कर दिया है| ऐसे में स्वयं एक महिला होने के नाते मेरा दुनियाँ के आधी आबादी को यही संदेश है कि जिस तरह मुश्किल घड़ी में वो पुरुषों के साथ खड़ी होकर सदा से इस सृष्टि चक्र को पूर्ण करने वाली परंपरा हेतु अपना अमूल्य योगदान देने में अपनी महती भूमिका निभाती आई हैं वो आगे भी इस क्रम को जारी रखें क्योंकि निर्भीकता, निडरता और ममता की प्रतिमूर्ति नारियां ही विधाता की बनाई वो कृति हैं जिन्होने अपने हौसलों के उड़ान से सदैव इस दुनियाँ को नयी दिशा दी है|