मूर्छित पड़ी दिशाओं
में
कुछ राग भक्ति
भर लो
देशभक्ति की
विह्वल धारा
सहज बना दें
राहें अपनी
ऐसी सोच कर
लो
निज हित से
तुम आगे बढ़ कुछ
सर्व हित तो
कर लो
मूर्छित पड़ी दिशाओं
में......
खुला गगन हो
खुली हवा हो
ऐसी श्वांस
भर लो
लाचारी से हो
न नाता
ऐसी जीत कर
लो
मूर्छित पड़ी दिशाओं
में......
रहे अखंड अक्षुण्ण
आजादी
कर्म ऐसे कर
लो
वक्त सबल हैं
राहें भारी
निश्चय दृढ़
तुम कर लो
मूर्छित पड़ी
दिशाओं में
कुछ राग भक्ति
भर लो, कुछ राग भक्ति भर लो........
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव “कैलाश कीर्ति”
देश की आजादी सदैव
अक्षुण्ण
रहे और हमारा राष्ट्र प्रगति पग पर अग्रसर...इसी कामना के साथ आप सभी को भारत के 74वें
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें