Hindi Writing Blog: परमाणु बम की सोच पर बैठी इस दुनिया का क्या होगा?

रविवार, 30 अगस्त 2020

परमाणु बम की सोच पर बैठी इस दुनिया का क्या होगा?





दोस्तों, जैसा कि हम सब जानते हैं आज हमारी खूबसूरत धरती और इस पर रह रही मानव सभ्यता एक ऐसे खतरनाक दौर से गुजर रही है जहाँ मानव ज़िंदगियों को बचाने के लिए दुनियाभर के warriors कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं, फिर चाहे वो उनकी खुद की जान ही क्यों न हो? लेकिन दूसरी ओर तीव्र गति से लगभग दुनिया के हर देश में पैर पसार चुकी इस महामारी के लिए शुरुआत से लेकर अब तक जो प्रयास दुनिया की ओर से किए जा रहे हैं क्या वो इस समग्र पृथ्वी की उस एकजुटता को दिखा पाने में सक्षम हैं जिसकी इस कठिन समय में जरूरत है? ये एक सवालिया प्रश्न हैं जिसका जवाब दुनियाभर के देशों के बीच इस महामारी के खिलाफ एक होकर लड़ने के आह्वान की गैरमौजूदगी के बीच हमें बार-बार दिखाई पड़ रहा है, फिर चाहे वो दुनिया का नेतृत्व करने वाले बड़े देश America, Russia, Britain या Germany हों या फिर दुनिया की तबाही का हर पल सपना संजोते चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान जैसे देश जिन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी आवाम को जरूरत किस चीज की है, रोटी, स्वास्थ्य, कपड़ा और मकान की या फिर Atom Bomb (परमाणु बम)। उनकी सोच के पीछे सिर्फ और सिर्फ छुपी है एक विध्वंसात्मक सोच, तभी तो आए दिन एक ओर अगर पड़ोसी देश परमाणु हमला करने की धमकी देता रहता है, तो दूसरी ओर 24 May 2020 को आई उत्तर कोरयाई खबर भी इस बात का संकेत देती है कि COVID-19 की इस भयावह तबाही के बीच भी ये देश अपनी परमाणु मारक क्षमता बढ़ाना चाहता है और इसी के चलते दुनिया पर आए दिन इस अनचाहे हमले का खतरा मंडराता ही रहता है, ऐसे देशों की श्रेणी में कमोवेश अब चीन का भी यही हाल है बावजूद इसके इसी August माह की 6 तारीख को ठीक 75 साल पहले सन् 1945 में जापान ने हिरोशिमा में अपने 1,40,000 लोगों और 9 अगस्त को नागासाकी में लगभग 74,000 लोगों की मौत का नजारा क्रमश: Little boy” (लिटिल बॉय) और “Fat Man”(फैट मैन) नामक परमाणु बम के गिराए जाने से देखा है फिर भी लगता है उस महाविनाश से भी दुनिया ने न तब कुछ सीखा था और ना आगे कुछ सीखने के mood में है। कम से कम आज के हालात को देखकर तो बस यही लगता है, सृजन से ज्यादा तबाही ही इस दुनिया के लिए ज्यादा मायने रखती है और इस अग्नि में घी डालती चीन की नीतियाँ आने वाले समय में दुनिया को किस ओर ले जाएंगी ये तो वक्त बताएगा लेकिन विस्फोटक तबाही क्या होती है इसका बहुत छोटा सा उदाहरण है लेबनान की राजधानी बेरुथ में हुआ विस्फोट जिसमें मंशा तो नहीं थी, थी तो केवल आकस्मिकता, फिर सोचिए जिसमें मंशा होगी उसका अंजाम क्या होगा?

दोस्तों, आज दुनिया के 9 देशों के पास लगभग 13,865 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं (रूस: 6,500, अमेरिका: 6,185, फ्रांस: 300, चीन: 290, ब्रिटेन: 200, भारत: 130-140, पाकिस्तान: 150-160, इज़राइल: 80-90) हैं और उनमें से बस कुछ ही इस जीवनदायी ग्रह पृथ्वी को समाप्त करने के लिए पर्याप्त हैं, इसलिए ये बेहद जरूरी है कि दुनिया अपनी सोच बदले और हाल-फिलहाल मानव जीवन के लिए चुनौती बन चुके इस COVID-19 नाम की आँधी को WHO के साथ एकता के सूत्र बंधकर रोकने की तैयारी करें क्योंकि इस धरती का वजूद तब तक है जब तक यहाँ जीवन है और ये जीवन कितना बेशकीमती है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कभी-कभी इस जीवन को बचाने के लिए nature को भी खुद आगे आना पड़ता है क्योंकि उसे पता है happiness सृजन में है विध्वंस में नहीं... 

Nature के इन्हीं सकारात्मक कदमों पर विश्वास की सोच को आधार देती, अपनी आशाओं के लिए बस इतना ही...

            जय हिन्द, जय भारत...

 

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