नए वर्ष में,
नवदीपों की प्रज्ज्वलित
ज्वाला ।
करती है अभिनन्दन अब ये ॥
सहज संयोग से होगा निर्मित ।
अभिलाषित जीवन का ध्येय ॥
नए वर्ष में नवदीपों की
प्रज्ज्वलित ज्वाला...
सर्द हवाएँ जाने को हैं
ऊष्मा भरे दिन लाने को
सहम-सहम कर गुजरे कल ने
भी दी है दस्तक
सँवरे दिन लौटाने को
नए वर्ष में नवदीपों की
प्रज्ज्वलित ज्वाला...
महक उठेगी मंद बयार जब
नए वर्ष की नई सुबह
दे जाएगी मीठा संदेश
आशाएँ हो जाएंगी पूरी
मिटा जीवन से
भय-क्लेश का द्वेष
नए वर्ष में नवदीपों की
प्रज्ज्वलित ज्वाला...( स्वरचित रश्मिश्रीवास्तव” कैलाशकीर्ति”)
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