Hindi Writing Blog: संकट की इस घड़ी में चलो एक संकल्प लें

गुरुवार, 6 मई 2021

संकट की इस घड़ी में चलो एक संकल्प लें

 

Helping Hands

























वो सुबह कभी तो आएगी

इन काली सदियों के सर से, जब रात का आँचल ढलकेगा

जब दुख के बादल पिघलेंगे, जब सुख का सागर छलके गा

जब अंबर झूम नाचेगा, जब धरती नगमें गाएगी

वो सुबह कभी तो आएगी, वो सुबह कभी तो आएगी......     (साहिर लुधियानवी)

 

     जी हाँ, दोस्तों, ये बिल्कुल सच है, वो सुबह कभी तो आएगी जब हमारा देश करोना महामारी के इस संकट से पूरी तरह उबर चुका होगा, तब फिर से इस देश में गूँजेगी बच्चों के स्कूलों से बजते घंटों की आवाज, चाय की टपरियों पर खड़े होकर चाय की चुस्कियों के साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा-परिचर्चा होगी, मंदिरों, मस्जिदों, गिरजाघरों और गुरुद्वारों से निकलती पवित्र वाणियों की ध्वनि मंजरियों का शोर होगा। हाँ, बिल्कुल ये सब होगा, जब ये तूफान गुज़र जाएगा।

लेकिन अभी जो वक्त है वो संकट की इस घड़ी में अपने अपनों की मदद का है और अपनी इस कोशिश में यदि हम किसी एक भी जान बचा पाए तो इससे सार्थक कोई और बात हो ही नहीं सकती। बस दोस्तों, ईश्वर से अब यही प्रार्थना है कि जितनी जल्दी हो हमारा देश इस संकट से बाहर निकाल आए क्योंकि...

                       आसुओं से नहीं छिप रही  

                       बेबसी इस जमाने की

                       गुजरता दौर है ऐसा

                       जहां कीमत चुकानी पड़ रहीअपनों को भुलाने की...

                                    स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव (कैलाश कीर्ति)


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