Hindi Writing Blog: जुलाई 2021

शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

अंतरिक्ष के बढ़ते कदमों के बीच प्राचीन और आधुनिक भारत का कदमताल

 

Space Home

दोस्तों, हम सब हमेशा से ये सुनते और देखते आए हैं कि मानव सभ्यता नित नए अन्वेषणों (खोजों) को अंजाम देती रही है, जिसका नतीजा यह निकला कि 21वीं सदी के आते-आते विज्ञान से मिले ज्ञान की बदौलत आज पूरी दुनिया मुट्ठी में आकर सिमट गई। फिर, चाहे वो इंटरनेट के जरिये दुनिया के नक्शे पर उभरे सभी देशों को ग्लोबलाइज़ेशन द्वारा एक करना हो या नई-नई तकनीकों के माध्यम से सूचना संचार और चिकित्सा जगत में क्रान्ति का लाना हो। पिछले कुछ दशकों से इन सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। इस परिवर्तन का परिणाम यह है कि आज की आधुनिक दुनिया हमारी धरती और इससे जुड़े सौरमंडल को सुलझाने की ओर काफी तीव्र गति से अग्रसर हो चली है। दुनियाभर से जिस प्रकार मंगल ग्रह पर कालोनियाँ बसाये जाने की इच्छा बलवती दिखाई देती है उसी प्रकार अब विशेष अंतरिक्ष चालकों और उनके करीबी दलों के अलावा आम(पर खास लोगों) की अंतरिक्ष यात्रा भी मानव जाति के बढ़ती महत्वाकांक्षाओं पर मुहर लगा रही है।

दोस्तों, आज से लगभग 21 वर्ष पूर्व सन् 2000 में दुनिया के सबसे अमीर अरबपति jeff Bezos ने Blue Origin नाम की एक कंपनी स्थापित की थी जिसका लक्ष्य एक दिन कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण के साथ तैरती हुई अन्तरिक्ष कालोनियों का निर्माण करना था, जहां लाखों लोग काम करेंगे और रहेंगे। उनके इस सपने को पूरे करने वाली यात्रा 20 जुलाई सन् 2021 को सकुशल सम्पन्न भी हो चुकी है। हालांकि 12 अप्रैल सन् 1961 को Vostak-1 में बैठकर किसी इंसान द्वारा अन्तरिक्ष की ओर की गई यात्रा में पहला नाम Yuri Gagarin का आता है परंतु ये यात्राएं जनसाधारण से परे थीं। उसके बाद तो मानवयुक्त अन्तरिक्ष यात्राएं अनेकों देशों द्वारा कराई गईं लेकिन वो सभी किसी न किसी राष्ट्रीय हित से जुड़े मिशन का हिस्सा रही हैं। भविष्य धीरे-धीरे बदलता चला गया और अब बारी आई है दुनिया के उन अरबपतियों की जो धरती के अलावा अंतरिक्ष को अपना दूसरा घर बनाए रखने का सपना देखते हैं। इस क्रम में Blue Origin के संस्थापक Jeff Bezos थोड़े पिछड़ गए और प्रथम अंतरिक्ष यात्री होने का गौरव हासिल किया Virgin Galactic के संस्थापक और मशहूर बिजनेसमैन Richard Branson ने, जिन्होने हाल ही में अपनी अंतरिक्ष यात्रा पूरी करते हुए लिखा “स्पेस युग की नई सुबह में आपका स्वागत है” अगर दुनिया इस दौड़ में इतनी आगे है तो अपना देश कैसे पीछे रह सकता है। आज ही Elon Musk द्वारा भारत के मानव युक्त अंतरिक्ष यात्रा से जुड़े मिशन “गगनयान” के विकास इंजन के सफल परीक्षण पर ISRO को बधाई देता एक संदेश मिला “बधाई भारत”।

जी हाँ दोस्तों, आगामी वर्ष 2022 तक भारत भी अपने इस मिशन द्वारा मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेज सकेगा। भारत की बढ़ती उपलब्धियां चन्द्र, सूर्य, शुक्र, मंगल और बृहस्पत की कक्षाओं तक वर्ष 1957 द्वारा शुरू की गई आर्यभट्टीय उपग्रह शृंखला के नित नए बढ़ते कदमों का परिणाम हैं। आज दुनिया अंतरिक्ष में अपने कदम जिस तेजी से बढ़ा रही है वो दिन दूर नहीं जब धरती के लोगों को अन्य ग्रहों पर भी जाकर रहने का अवसर मिल जाए, लेकिन इन सब के पीछे भी एक रहस्य है जो प्राचीन भारत की गौरवपूर्ण अस्मिता से न केवल सम्बद्ध है परंतु हमारे देश के वैज्ञानिकों को आज भी हौसला देने में सक्षम है। अंतरिक्ष की जिस परिकल्पना पर आज दुनिया चल रही है उसकी संबद्धता कहीं न कहीं भारत के प्राचीन इतिहास से जुड़ी है जहां आज से लगभग 4 हजार वर्ष पूर्व लिखे गए ऋग्वेद में हमें खगोल विज्ञान के सम्पूर्ण दर्शन प्राप्त होते हैं साथ ही भारत की प्राचीनता से हमें कई ऐसे खगोलविद्वों के ज्ञान मिलते हैं जो आज भी सौरमंडल और इससे जुड़ी सभी खोजों को मार्ग दिखा रहे हैं। महज 23 वर्ष की आयु में 499 CE में महान भारतीय खगोलविद आर्यभट्ट ने अपनी पुस्तक आर्यभटीय में न केवल ये बताया कि पृथ्वी अपनी जगह पर घूमती है साथ ही सूर्य चंद्रमा और उनसे जुड़े ग्रहण की भी परिकल्पना से दुनिया का परिचय कराया। भारतीय मनीषियों और खगोलविदों के ज्ञान से आगे बढ़ती मानवीय सभ्यता आज भी उतनी ही सशक्त है जितनी प्रचीनकाल में थी क्योंकि भारत को जहां पाँचवीं शताब्दी में ही ये पता चल चुका था कि पृथ्वी अचल नहीं है वहीं दूसरी ओर सन् 1473 से 1593 के बीच यूरोप में कॉपरनिकस के आने से पूर्व टालमी और बाइबिल के सिद्धांत ही प्रचलन में थे।

खगोल शास्त्र से जुड़े ज्ञान की समृद्धता भारतीय इतिहास में उज्जैन के शासक चंद्रगुप्त विक्रमादित्य से लेकर आधुनिक युग के शासक सवाई राजा जयसिंह तक देखी जा सकती है, जिसके फलस्वरूप भारत की गरिमामयी उपलब्धियां सदियों के बदलने पर भी कभी नहीं रुकीं। तभी तो टीपू सुल्तान द्वारा मैसूर युद्ध के समय अंग्रेजों के विरुद्ध किया गया रॉकेट का प्रयोग अंग्रेज़ अधिकारी विलियम कंग्रीव को भी सोचने पर मजबूर कर गया था।

दोस्तों, इन घटनाक्रमों का उल्लेख भारत की महानता से आप सभी को रूबरू कराना है जो हमेशा अमिट और अविरल रही है। भारत से जुड़ी इन उपलब्धियों की गाथा यूं ही अनवरत चलती रहे और समय के साथ इसमें नए ऐतिहासिक घटनाक्रम जुड़ते जाएँ।

बस इसी आकांक्षा के साथ आज के लिए इतना ही....भारत की असीम गाथाओं से अगला पन्ना अवश्य आपके लिए दोबारा लेकर आऊँगी...तब तक के लिए...

                                 जय हिन्द...जय भारत...


सोमवार, 5 जुलाई 2021

समय पर हो पैनी नज़र

 

Time is Important













दोस्तों, समय पर हमेशा पैनी नज़र रखना जरूरी होता है क्योंकि:

मंज़िलें यूँ ही नहीं मिला करतीं

ख्वाबों को सजाने से,

जमीं पर लाने में भी

उन्हें कुछ वक्त लगता है ।

मंज़िलें यूँ ही नहीं मिला करतीं...

जिंदगी टूट जाती है,

हौसले रूठ जाते हैं,

कमबख़्त कश्तियां जब दरिया में

डूब जाती है,

तब दरिया किनारे लाने में भी

उन्हें कुछ वक्त लगता है ।

मंज़िलें यूँ ही नहीं मिला करतीं...

सिमट जाती हैं कुछ राहें

तूफानों के थपेड़े से,

कमबख़्त तूफानों के थमने में भी

तो कुछ वक्त लगता है ।

मंज़िलें यूँ ही नहीं मिला करतीं...

                      स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव “कैलाश कीर्ति”