पुनः द्वार
पर आयी है,
दीपावली पर
प्रभु राम सिया
की अयोध्या
वापसी
संग सीख बहुत
कुछ लायी है ।
कहने को हो
जब घनघोर अंधेरा
जीवन में,
तब अविचल होकर
कंटक
भरे पथों पर
कैसे चले वो
सहजता से ।
प्रभु राम का
दिया यहीं प्रण
अब हम सबको
दोहराना है,
पुनः द्वार
पर आई इस दीपावली को
जगमगाती दीयों
की रोशनी,
घर-द्वार पर
सजी वंदन-वार की
हिलती-डुलती
लहरियों,
खिड़कियों के
पीछे से झाकती
झालरों की टिमटिमाहट,
अधरों पर बिखरी
मुस्कान से
जीवन से ही
नहीं
इस समग्र संसार
से,
तमस के हर एक
प्रकार को
दूर भगाना है
।
बस जीवन में
अब यही
प्रभु राम का
दिया प्रण
दोहराना है...
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव “कैलाश कीर्ति”
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