Hindi Writing Blog: मार्च 2023

बुधवार, 8 मार्च 2023

पैरों के वो निशां जो इतिहास रच गए - महिला दिवस विशेषांक

 

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस


दोस्तों, सन् 2023 की होली, पूरे देश में लगातार 2 दिनों, 7 और 8 मार्च को मनाई जा रही है पर इस खास उत्सव के भीड़-भाड़ के बीच एक और स्पेशल डे हम सब का इंतज़ार कर रहा है। हम इस खास दिन को उन्हें स्पेशल फ़ील कराएं या ना कराएं पर इस दिन हम सभी अपने आप से एक वादा जरूर करते हैं कि सिर्फ ये एक दिन ही क्यों? हमें उनके पूरे साल के हर एक दिन को स्पेशल फ़ील कराना चाहिए, पर कितना हम कर पाते हैं ये तो हमारा दिल ही जानता है, इसलिए अगला-पिछला सब भूलकर आइए इस महिला दिवस दूसरों के वजूद को बनाने वाली उस नारी को सलाम करें जो रोज़मर्रा की अपनी जिंदगी में खुद कहीं न कहीं अपना ही वजूद तलाश करती आपको नजर आ जाएगी।

जी हाँ, आज का दिन उस नारी का है जिसे माना तो दुनिया की आधी आबादी जाता है लेकिन क्या बतौर बेटी, बतौर पत्नी, बतौर माँ या बतौर सहकर्मी उनको दी जा रही खुशियों और अधिकारों में वो न्याय होता दिखाई दे रहा है जिसकी उन्हें दरकार है? दोस्तों, ये वो सवाल है जिसे दुनिया के किसी भी हिस्से में पूछा जाए, उसका जवाब हाँ और ना दोनों में होगा क्योंकि कहीं अगर नारी ने पुरानी जड़ता से मुक्ति पा कर खुले आसमान की उड़ान भरी है तो कहीं वो आज भी डूबती सिसकियों के बीच घुटती अपनी आवाज के बीच बेहतर भविष्य के लिए दुनिया के कुछ एक हिस्सों में बाहें फैलाए खड़ी है।

दोस्तों, आज भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस अवसर पर स्त्री-पुरुष की समानता ही इस संसार का एक मात्र मार्ग है जो एक घर से एक मोहल्ले, एक मोहल्ले से एक शहर, एक शहर से एक राज्य और एक राज्य से एक राष्ट्र को सशक्त बनाने का माद्दा रखता है ताकि हमारा आज और कल दोनों बेहतर हो सके। इतिहास गवाह है कि नारी की असीमित शक्ति किसी राष्ट्र को दिशा देने में सदैव अतुलनीय भूमिका निभाती आई है, इसलिए इस खास दिन आइए भारत की उन नारी शक्तियों का एक बार पुनः अभिवादन करें जिनके हौसले आज की आधुनिक नारी के लिए अनुकरणीय हैं। इनकी कहानियाँ संघर्ष की बिसात पर लड़ी वो लड़ाइयाँ हैं जो किसी भी स्त्री के मनोबल को पाताल के गर्त से निकालकर आसमान के पटल पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित करा जाएँ। समाज के लिए मिसाल बन चुकी इनकी कहानियों की इस कड़ी में पहली कहानी जो मैं साझा करूंगी वो है –

भारत की प्रथम महिला डॉक्टर आनंदीबाई जोशी की जिनका जन्म ब्रिटिश भारत के ठाणे राज्य में मार्च 1865 को हुआ था। घर में आई लक्ष्मी के लिए भी तत्कालीन समाज में व्यापात कुप्रथाओं ने आने वाले भविष्य के लिए कुछ खास नहीं रख छोड़ा था। लिहाजा 9 वर्ष की आयु में उनका विवाह, उम्र में बीस साल बड़े गोपालराव जोशी से कर दिया गया। चौदह वर्ष की आयु में वो माँ बनी पर मात्र 10 दिनों में ही अपनी संतान के प्राण गँवा देने वाली आनंदीबाई ने ऐसी असमय मौतों को रोकने के लिए डॉक्टर बनने का फैसला लिया। अमेरिका के वुमन्स कॉलेज ऑफ पेंसिल्वेनिया से उन्होने मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। दोस्तों भारतीय महिलाओं के भविष्य को रास्ता दिखाने वाली इस अद्वितीय नारी शक्ति ने यूं तो अल्पायु (इक्कीस वर्ष की अवस्था) में ही अपने प्राण त्याग दिए पर डॉक्टर बनने का उनका वो फैसला तब से लेकर आज तक इस समाज को न जाने कितनी महिला डॉक्टरों से रूबरू करा रहा है।

महिलाओं की ये कहानी कुछ और नामों के बिना अधूरी रह जाएगी, अगर मैं वकालत के पेशे को महिलाओं के लिए खुलवाए जाने की लड़ाई लड़ने वाली भारतीय वीरांगना कोर्नेलिया सोराबजी की बात न करूँ, जिन्हें भारत की प्रथम महिला वकील कहलाए जाने का भी सम्मान प्राप्त है। कोर्नेलिया ने उस समय के समाज में व्याप्त पर्दा प्रथा जैसी भारी भरकम कुरीति का सामना करते हुए आज की भारतीय नारी के लिए तरक्की के द्वार खोले। उनके दिखाए रास्ते पर चलकर नारी शक्ति आज न्याय क्षेत्र में भी अपभूतपूर्व प्रदर्शन कर रही है।

भारतीय नारियों के शौर्य, साहस और पराक्रम का नजारा देख रही इस दुनिया को वर्षों पहले भारत की प्रथम महिला IAS अन्ना राजम मल्होत्रा, प्रथम महिला इंजीनियर अय्योला सोमायाजुला ललिता (ए.ललिता), प्रथम महिला IPS किरण बेदी, प्रथम महिला हाई कोर्ट जज अन्ना चांडी, प्रथम महिला चुनाव प्रतिभागी कमला चटोपाध्याय जैसी और न जाने कितनी अनगिनत महिला शक्तियों की अविस्मरणीय कर्म गाथा देखने को मिली है। इनके कर्मक्षेत्र के कार्यों के बदौलत केवल हमारा समाज ही नहीं बल्कि हमारा राष्ट्र भी दुनिया की आधी आबादी के प्रति अपने कर्तव्यों को लेकर खुद की नई पहचान बनाता नजर आया है और सदैव बनाता रहेगा।

भारत की नारी की ये यात्रा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यूं ही अनवरत चलती रहे, बस इसी कामना के साथ दुनिया के प्रत्येक नारी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकानाएँ। 


Happy Holi

 

Holi Masti

मतवारी फागुन की बयरिया

छेड़े है तान मनोहर, होली रंग बरसाने को,

मन का पपीहा बन मयूर

नाचे फागुन के रंग में रंग जाने को,

मेरी प्यारी सखियों

अब तुम सब मोहे इतना बता दो,

नीला, पीला, लाल लगाऊँ

या खेलूँ हरियाली होली,

कान्हा संग मोहे कौन जंचेगी

ब्रज की होली या मथुरा, वृन्दावन, बरसाने की,

मतवारी फागुन की बयरिया...

राधा संग सब करें ठिठोली

कान्हा रंग लगाने को,

अबकी होली रंग जा राधा

प्रीत रंग में कान्हा के,

प्रीत रंग से बढ़कर दूजा

रंग नहीं मन भाने को,

मतवारी फागुन की बयरिया...     

               स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव “कैलाश कीर्ति”