सुमधुर स्वर लहरियों
की झंकार बनी हिन्दी,
विश्व के पटल पर शब्दों का आकार
बनी हिन्दी,
दुनिया के कोने-कोने तक बातों
को निज भाषा में,
पहुंचाने का आधार बनी हिन्दी,
विकसित देश की ओर अग्रसर होते
भारत के,
140 करोड़ देशवासियों का अभिमान
बनी हिन्दी,
“हिन्दी है तो हम हैं” ऐसी पहचान
बनी हिन्दी,
उन्नति की ओर खुले मार्ग अब चल
पड़े मंजिलों
की ओर उन रास्तों का द्वार बनी
हिन्दी। (स्वरचित रचना)
रश्मि श्रीवास्तव
“कैलाश कीर्ति”
विश्व हिन्दी दिवस की आप सभी को बहुत-बहुत
बधाई।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें