Hindi Writing Blog: नव वर्ष कविता

सोमवार, 1 जनवरी 2024

नव वर्ष कविता

 

नव वर्ष कविता

शरद ऋतु के आंचल में

नूतन वर्ष के अभिनंदन पर

सूरज की अलसाई किरणें

आज जब आखें खोल रही हैं

मन ही मन बस सोच रही हैं

कितना कुछ अब बदल गया है

धरती माँ के आँगन में

साल पुराना बीत गया है

नए साल ने दी है दस्तक

सपनों को फिर पंख लगे हैं

खुशियों ने भी फैलाई हैं बाहें

कितना कुछ अब बदल गया है....

2023 लिखते थे

अब लिखेंगे 24 सब

एक अंक का फेर दिखे है

क्या सचमुच में ऐसा ही हुआ

कितना कुछ अब बदल गया है...

आशाएँ जो छूट गई हैं

उनको पूरा करना है

बीते साल की कमियों से भी

सबक सीखकर बढ़ना है

कितना कुछ अब बदल गया...

काम जो पीछे छूट गए हैं

उनको सब निपटाएंगे

उम्मीदों पर आन पड़ी धुंध से भी

पीछा अब सब छुड़ाएंगे

कितना कुछ अब बदल गया है...

     स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव “कैलाश कीर्ति”


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