भारत____हमारा गर्व, हमारा अभिमान
आज हम भारतवासी पूरी दुनिया में सफलता के
परचम लहरा रहे हैं, ऐसे में अपनी मातृभूमि पर तो गर्व करने का हक तो बनता ही है और
हो भी क्यों न हमारा देश है ही ऐसा जिसने शायद दुनिया में सबसे ज्यादा आक्रांताओं के
आक्रमण झेले लेकिन शायद ही दुनिया के किसी देश को जीतने की लालसा मन में पाली हो| इतिहास
गवाह है कि हमारे देश के ज्ञानविद सिर्फ और सिर्फ विदेशों में अपने ज्ञान और संस्कृति
का प्रसार करने गए, जहां पहुँचकर उन्होने दुनिया
को अपनी गर्वीली सभ्यता और संस्कृति से अवगत कराया जिनकी झलकियाँ आज भी दुनिया के अनेकों
देशों में दिखाई देती हैं| आज मैं आप से अपने भारत के उस अतीत की चर्चा करूंगी जिसमे
भारतीय सीमाएं इतनी दूर तक फैली थीं जिसकी वर्तमान में हम सिर्फ और सिर्फ कल्पना ही
कर सकते हैं|
भारत जिसे प्राचीन काल से लेकर आज तक जंबू
दीप, भारत खंड, आर्यावर्त, अजनाभखंड और हिंदुस्तान के नामों से जाना जाता है| हमारा
भारत जैसा आज है वैसा पहले नहीं था| ब्रिटिश शासन से कई वर्षों पहले इस राष्ट्र में
पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, लंका(सिंहल
द्वीप), बांग्लादेश, तिब्बत(त्रिविष्टप), म्यांमार, इन्डोनेशिया जैसे अनेकों देश
शामिल थे और तब के सम्पूर्ण भारत का नाम जिस महामना के नाम पर पड़ा था वो थे ऋषभ देव के सौ पुत्रों में से एक "भरत" और बस यहीं से शुरू हुई थी हमारे
देश की गौरव गाथा, लेकिन बदलते इतिहास ने बहुत कुछ बदला और धीरे-धीरे भौगोलिक सीमाओं
में कटौती होती गयी और एक-एक कर भारत माता से उसके बहुत से महत्वपूर्ण अंग अलग कर दिये
गए, चाहे फिर वो 1876 में अफगानिस्तान
का अलगाव या 1904 में नेपाल व 1907 में
भूटान या फिर 1937 में म्यांमार का, इन सभी विभाजनों ने भारत माँ
को तो पहले ही छिन्न-भिन्न कर रखा था, परंतु हिमालय जैसा उच्च मस्तक धारण करने वाले
भारत को विखंडन का असली दंश उस समय झेलना पड़ा जब 1947 में धर्म के नाम पर विभाजन कराके
अंग्रेजों ने माँ भारती से पाकिस्तान को
अलग कर दिया और ये सिलसिला यहीं नहीं रुका| ये अपने बढ्ने के चेष्टा को जारी रखे है
और आज जब कभी भी हमारे देश में समाहित 29 राज्यों को भी खंड-खंड कर देने की बातें सुनाई
पड़ती हैं तो मन वेदना से भर उठता है, क्योंकि हम सबकी असली ताकत तो सदियों से हम भारतवासियों
की एकता ही है और बस वक्त के साथ हम इसे जब-जब छोड़ आगे बढ़े तब-तब हमने और हमारे राष्ट्र
दोनों ने विध्वंस के साये को अपने सिरहने खड़ा
देखा है|
आज हम सिर्फ सोच सकते हैं कि हमारा भारत
ऐसा था....... वैसा था........ लेकिन आज भी जो हमारे पास बचा है उसके लिए हमारा उत्तरदायित्व
यही है कि बस और नहीं हम जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सदा एक रहें क्योंकि
यही एकता हमारी ताकत है और ये राष्ट्र हमारा अभिमान|
जय हिन्द,
जय भारत...
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