Hindi Writing Blog: नवंबर 2019

रविवार, 24 नवंबर 2019

सुलगती धरती और तरक्की का दावा करती इंसानी सभ्यता

World Pollution

दोस्तों, आज मैं आप सभी से जिस संवेदनशील विषय पर बात करना चाहती हूँ वो न केवल इस धरती से जुड़ा है अपितु ये वो चेतावनी है जो पृथ्वी के अस्तित्व के साथ हमारे मानवीय जीवन को भी चुनौती दे रहा है| दोस्तों, हालांकि ये मुद्दा गंभीर है लेकिन इंसानी कोशिशें किसी भी गंभीरता पर हमेशा से भारी पड़ती आई हैं और जिसका नतीजा ये निकला है कि इस धरती पर रह रहे इन्सानों ने पहाड़ों को काटकर भी अपना रास्ता निकाल लिया है| दोस्तों, अब वक्त आ चुका है कि हम सब अब खुद से अलग होकर अपनी पृथ्वी और इससे जुड़े पर्यावरण को बचाए रखने में स्वयं की छोटी और महती भूमिका निभाएँ जिसके लिए मैं कुछ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों घटनाक्रमों की चर्चा करूंगी ताकि हमें अपनी भूमिकाएँ तात्कालिक रूप से शुरू करने का पता चल सके|
दोस्तों____अभी हाल ही में मोनको में अपनाई गयी इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की विशेष रिपोर्ट ने बढ़ते सामुद्रिक जल स्तर को नियोजित करने के लिए दुनियाँ को तत्काल कदम उठाने के लिए आगाह किया है|
---“सोलह साल के पढ़ने लिखने की उम्र में धरती को बचाने की मुहीम में लगी स्टाकहोम में जन्मी ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) ने न केवल अनक्लाइमेट एक्शन सम्मिट में हाउ डेयर यू  (How Dare You) शीर्षक से भाषण दिया बल्कि दुनियाँ को जगाने के लिए फ्राइडेज फॉर फ्युचर (Fridays For Future) नाम के आंदोलन से दुनियाँ भर के स्कूली छात्रों को जोड़ने का अभियान शुरू किया है|
----“पूरे विश्व को 17% ऑक्सीज़न आपूर्ति करने वाले अमेज़न के जंगल, आग की चपेट में (ऐसे ही कई अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम भी इस सूची में शामिल हैं) और अगर राष्ट्रीय स्तर की बात हो तो ये आकड़े लाल निशान को भी पार कर गए हैं जहां साँसे भी अब खरीदकर लेनी पड़ती है (ऑक्सीज़न सिलेन्डर और एयर प्यूरीफायर के जरिये)|”
---“देश की राजधानी दिल्ली गैस चेम्बर में तब्दील|”
---“प्रदूषण की भयावह चपेट में सम्पूर्ण उत्तर भारत (न जाने और कितने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) कहाँ तक उनका ब्योरा दूँ|”

मुझे तो आप सबसे बस इतना कहना है कि आइये हम सब एकजुट होकर सीमित साधनों से पृथ्वी को बचाने की पहल करें| मैंने देखा है कि तरक्की और शान-शौकत के प्रदर्शन में हम सभी अपनी असली जरूरत हवा, धूप, पानी की बलि चढ़ाते जा रहे हैं|
दोस्तों, मेरे इस ब्लॉग में आप ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने की पहल करते कई आर्टिक्ल(Article) पढे होंगे पर देश दुनियाँ के भयावह स्थिति से रूबरू होते ही न जाने क्यों एक बार फिर से मेरी लेखनी आवाज बनकर शब्दों को ढालने लग जाती है| दोस्तों, आइये अभी भी वक्त है हम अपनी धरती को बचाने की पहल शुरू करें, इससे पहले की कहीं देर न हो जाए…..


शनिवार, 16 नवंबर 2019

विश्वगुरु बनने की ओर पुनः अग्रसर भारत

World Leadership


बदल रहा है हिंदुस्तान, बदल रही इसकी संतान |
युगों-युगों से बहती जमुना-गंगा,दे रही इसको वरदान |
उत्तर से दक्खिन तक अब तो,एक रहेगा हिंदुस्तान |
बदल रहा है हिंदुस्तान, बदल रही इसकी संतान...
जात पात मजहब से भी अब,उबर रहा है हिंदुस्तान |
बदल रहा है हिंदुस्तान, बदल रही इसकी संतान...
मंदिर के बजते घंटों से, मस्जिद की उठती अजान से,
महक रहा है हिंदुस्तान, महक रहा है हिंदुस्तान...  
                        स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव (कैलाश कीर्ति)

भारत दुनियाँ के मानचित्र पर सुशोभित एक ऐसा राष्ट्र जिसके समृद्धवान अतीत ने उसे “विश्वगुरु” कहलाए जाने के तमगे से अलंकृत कराया है, विश्वगुरु अर्थात समग्र संसार को राह दिखाने वाला ऐसा पथ प्रदर्शक जिसके मार्ग पर चलने की अभिलाषा से दुनियाँ के अन्य राष्ट्र भी प्रेरित हो जाएँ|

ऐसा ही कुछ अद्वितीय स्थान रहा है हमारे राष्ट्र का जिसकी गवाही सदियाँ देती आई हैं,परंतु कुछ वक्त ऐसे भी इस राष्ट्र की भाग्य रेखा को परिवर्तित करने की चेष्टा करते आए हैं जिससे पल भर को ये लगा कि दुनियाँ को प्रेम, सद्भाव, और धन-धान्य की अनमोल विरासत देने वाले राष्ट्र के हाथों से सबकुछ छिन गया हो, लेकिन वो कहते हैं न “गुरु तो गुरु ही होता है|”फिर क्या था विश्वगुरु कहलाने वाले  भारत ने पुनः खुद में समाहित दुनियाँ के कोने-कोने से आई नकारात्मक ऊर्जाओं को समय की बहती अविरल धारा में धोना प्रारम्भ किया तो देखते ही देखते भारत माँ के वर्तमान आँचल के साथ भावी भविष्य का आँचल भी महकने लगा और उसकी छाँव तले माँ भारती के बच्चे एक बार फिर से इतिहास रचने चल पड़े, तभी तो लगभग 400 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद 9 नवंबर 2019 को सूप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाये गए बहुप्रतीक्षित फैसले पर जिस सामाजिक सौहार्द की झलक दुनियाँ ने देखी वो इस बात की ही पुष्टि करता है कि अब माँ भारती के सभी बच्चे (हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई...)एक हैं और अब उनकी ये एकता आने वाले दिनों में दुनियाँ को पुनः योग, भाषा के रूप में संस्कृत का समर्पण, शून्य का आविष्कार, प्रथम प्रयास पर मंगल ग्रह पर पहुँच, जैसे अनेकों योगदान इस संसार को देने की ओर अग्रसर होंगे क्योंकि अब जो भारत दिख रहा है वो एक ऐसा भारत है जहां नीति निर्माताओं का साथ देता हर भारतीय नजर आता है, जिसके चलते न केवल भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन दर्ज किये गए हैं, अपितु इस आगाज ने ये भी साबित कर दिया है कि अब राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक अपने राष्ट्र के विकास के ही सपने देखता है, लिहाजा अब ये तय हो चुका है कि हमारे देश में एक बार फिर से सद्भाव और भाईचारे ने दस्तक दे दी है| ऐसे में राष्ट्र और समाज के समग्र विकास के साथ जुड़ा ये गठजोड़ वाकई आने वाले भविष्य में भारत को सशक्त राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करेगा|

दोस्तों भारत के इस वर्तमान सफर का साक्षी बनने पर हम सभी आज गर्व का अनुभव करते हैं क्योंकि देश आज सामाजिक सौहार्द की वो मिसाल पेश कर रहा है जो कभी इसकी पहचान हुआ करती थी, दूसरे शब्दों में कहूँ तो मेरा भारत पुनः विश्व गुरु बनने के पथ पर अग्रसर हो चुका है और जिसमें सहयोग दे रहे मेरे राष्ट्रवासियों का योगदान वाकई सराहनीय है साथ ही उनके इन्हीं प्रयासों के चलते मेरे राष्ट्र की पहचान “विविधता में एकता” न केवल सदैव कायम रहेगी बल्कि सम्पूर्ण जगत को एकता का संदेश देने में सफल होगी|
            बस इसी उम्मीद के साथ जय हिन्द जय भारत...

मंगलवार, 5 नवंबर 2019

वैश्विक जनसंख्या असंतुलन कहीं खतरे का संकेत तो नहीं!!!

World Population Disequilibrium

मौजूदा दौर में राजधानी दिल्ली सहित पूरा उत्तर भारत प्रदूषण की ऐसी जद में लिपट चुका है जिसमें ज़िंदगियों द्वारा ली जा रही सासों तक को जहरीली आबोहवा का शिकार होना पड़ रहा है, आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? यदि एक विश्लेषक के नजरिए से हम इसे देखें तो ही हम ये जान पाएंगे कि जीवन को चुनौती दे रहे इस वातावरण के लिए मात्र “पराली”, दीपावली के पटाखे”, “गाड़ियों या कारखानों से निकले धुएँ” ही जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि कहीं न कहीं जिम्मेदार है हमारी बेतहाशा बढ़ी हुई आबादी जिसकी जरूरतों को पूरा करने में सारे संसाधन दम तोड़ रहे हैं और इतना ही नहीं हमारे राष्ट्र की बढ़ी आबादी के चलते, और दूसरे मोर्चों पर भी हमें एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ रही है|

दोस्तों, ऐसा न केवल हमारे देश के साथ हो रहा है बल्कि दुनियाँ के दूसरे कई अन्य देश भी बढ़ती आबादी के बोझ तले खुद को संभालने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आबादी रिपोर्ट 2019 ने इस बात के संकेत दिये हैं की 4.5 बिलियन वर्ष पहले बनी पृथ्वी की आबादी भले ही 2050 में 770 करोड़ (वर्तमान आबादी) से बढ़कर 970 करोड़ पहुँच जाएगी लेकिन दुनियाँ के 55 ऐसे देश होंगे जहां की आबादी लगातार घटती जाएगी जिसके परिणाम स्वरूप वैश्विक जनसंख्या असंतुलन का खतरा बढ़ जाएगा और ऐसा मात्र जन्म दर में आई कमी के चलते नहीं हो रहा है बल्कि इसके लिए लोगों द्वारा पलायन के घटनाक्रम, किसी विशेष राष्ट्र की आरजकतापूर्ण परिस्थितियों जैसे कई अन्य कारक भी शामिल हैं| दूसरे शब्दों में कहें तो धरती का एक हिस्सा जनसंख्या के बढ़ते क्रम की समस्याओं से उलझा होगा तो दूसरा हिस्सा घटते क्रम की, जिसके चलते इस संसार में नीतियों, योजनाओं और कानून के समग्र क्रियान्वयन का भी संकट पैदा हो जाएगा और ऐसा नहीं है कि ये भावी भविष्य द्वारा ही निर्धारित है, इसकी शुरुआत  तो काफी पहले से हो चुकी है| बढ़ती आबादी द्वारा छोड़ी गयी असमानता, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन की धरोहर ही कुछ देशों की घटती आबादी का बड़ा कारण बन रही है और जिसका नतीजा वैश्विक जनसंख्या असंतुलन के रूप में दुनियाँ के सामने आना प्रारम्भ हो चुका है|

आज दुनियाँ के कई ऐसे सम्पन्न राष्ट्र हैं जो बढ़ती आबादी से त्रस्त हैं, जैसे चीन, भारत, अमेरिका, ब्राज़ील, आदि तो वहीं दूसरी ओर डेन्मार्क, जापान, रोमानिया, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, हाँगकाँग जैसे देश अपने राष्ट्र की स्थिर आबादी की समस्या से लड़ रहे हैं जो मानवीय उन्नति के लिए चिंताजनक है| दोस्तों, अनादि काल से हमारी पृथ्वी इस ब्रह्मांड का जीवनदायी ग्रह रही है और इसके निर्माण के वर्षों गुजरने के बाद लगभग 1900 ईस्वी में इस संसार के लिए जनसंख्या के दृष्टिकोण से सबसे बड़ी चुनौती थी शिशु मृत्यु दर (4 में से 1 बच्चा जीवित रहता था) लेकिन आज स्थिति उलट है और इसका सबसे ज्यादा असर यूरोपीय देशों पर पड़ा है जहां घटती आबादी ने सम्पूर्ण वैश्विक आबादी को असंतुलित कर दिया है| प्रकृति द्वारा दिये गए संतुलन-असंतुलन के पलड़े में किसका हिस्सा भारी होगा ये तो आने वाला वक्त तय करेगा परंतु सृष्टि को संतुलित रखती मानवीय आबादी का संतुलन कहीं किसी खतरे का संकेत तो नहीं,ये प्रश्न अभी अनुत्तरित है?