जाती सर्द हवाएँ, देती खुशियों
का पैगाम |
सिमट चुका है साल पुराना, यादों
की चादर तान||
युग्मित बेला गान कर रही, मिलन और
जुदाई का |
सूर्य रश्मि की स्वर्णिम आभा, देती है
संदेश ||
चमक उठो तुम नये वर्ष में, बन किरणों का तेज |
भेद चलो तुम अधियारे को, उजियारे की ओर |
निर्मम हो कितनी बाधाएँ, बढ़ो लक्ष्य की ओर ||
साहस और सबलता से, तुम जीतोगे हर जंग |
मन में धीरज धरे चले चलो, बस मंजिल की ओर ||
सूर्य रश्मि की स्वर्णिम आभा देती है संदेश...
( स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव “कैलाश कीर्ति”)
इन पंक्तियों के साथ --- आप सभी को मेरी तरफ से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें