Hindi Writing Blog: जनवरी 2020

गुरुवार, 30 जनवरी 2020

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

बसंत पंचमी


ओढ़ चुनरिया बसंत ऋतु की, धरती ने फिर किया शृंगार |
जीवन बरसाती इस ऋतु का, भंवरे भी करते हैं प्रसार ||
नए कपोलों के झुरमुट से, कू-कू करती कोयलिया |
भी बरसाए राग-बसंत की फुहार  ||
तरुण आम्र की मंजरियों से, सुवासित होकर |
बहती मंद-मंद बसंत बयार||
कमल कामिनी सी काया ले, खेतों में लहराती सरसों |
जीवंत रागनियों की तानों पर, गाये गीत बसंत के बारंबार ||
रंग-बिरंगे फूलों के झूलों में फिर
हे सखी! आए ऋतुराज बसंत बहार, आए ऋतुराज बसंत बहार....
                               स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव (कैलाश कीर्ति)

माँ शारदा के प्राकट्योत्सव और बसंत पंचमी के पावन पर्व की आप सब को मेरी तरफ से ढेरों शुभकामनाएँ

रविवार, 26 जनवरी 2020

भारतीय गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

भारतीय गणतन्त्र दिवस पर कविता


समय चक्र की अविरल धारा, करती है गुणगान देश का |
कहती है हर पल वो हमसे, शीश झुकाकर कर लो वंदन ||
उन वीरों का, जो हैं अभिमान देश का |
कालजयी है उनकी भी गाथा, जिन्होंने रचा है विधान देश का ||
शत् शत् नमन है उनको भी, जो हैं स्वाभिमान देश का |
जब जनता का शासन, जनता के लिए, जनता के ही द्वारा है ||
तो फिर कैसा ये द्वंद-सा चल रहा, देश के कोने-कोने में |
भटक रही क्यों युवा शक्ति, जो प्राण वायु है भारत की ||
सिमट गयी क्यों एका अपनी, जिसपर गर्व था भारत को |
अभी वक्त है देर न हुई, राष्ट्र को स्व-राष्ट्र बनाने में ||
राष्ट्र हित को सर्वोपरि कर, चलो बनाएँ भारत अपना |
सहज होंगी राहें अपनी, पूरा होगा हर एक सपना ||
समय चक्र की अविरल धारा, करती है गुणगान देश का....
                              स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव (कैलाश कीर्ति)

मेरी तरफ से आप सभी को भारतीय गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...


रविवार, 5 जनवरी 2020

भारतीयों का अपने अतीत की ओर लौटना जरूरी क्यों?

World Events


सच्चाई तो ये है यारों कि गुमराह हैं हम,
तलाश-ए-सुकूं से बेपरवाह हैं हम |
कौन कहता है जिंदगी अमन-ओ-चैन से जी नहीं जाती,
बस भटके हुए को कोई राह-ए-मंजिल तो दिखा दो यारों ||
              स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव (कैलाश कीर्ति)

दोस्तों, सन् 2020 के नए वर्ष में प्रवेश का आगाज हो चुका है, दुनियाँ के इतिहास में सन् 2019 का पन्ना अपनी अमिट यादों को समेट कर जा चुका है और सामने खड़ा सन् 2020 अपने कोरे पन्नों पर इतिहास लिखने को बेसब्र है| वर्तमान समय में चारो ओर छाई अस्थिरता हर बार हमें सोचने को विवश किए जा रही है कि शायद आने वाले कल से बेहतर तो बीता हुआ कल था| दोस्तों, अभी कल ही वैश्विक स्तर पर छाई 2 सुर्खियों ने पूरी दुनियाँ का ध्यान अपनी ओर खींच लिया जिसमें पहला था अमेरिका (US) और ईरान (IRAN) के बीच कई सालों से चली आ रही जुबानी जंग का हमलों में परिवर्तित हो जाना और दूसरा घटनाक्रम था ननकानासाहिब में विरोध|
दोस्तों, ऐसे ही और कई मन को विचलित कर देने वाले घटनाक्रम आजकल हमारे देश सहित पूरी दुनियाँ में चल रहे हैं, आखिर ये सब क्यों हो रहा है? क्यों बढ़ते सुविधा सम्पन्न संसाधनों के बीच संघर्षों की ऐसी पटकथाएँ लिखी जा रही जिनको भेद पाना दिन पर दिन मुश्किल होता जा रहा है| ये आए दिन होने वाली घटनाएँ न केवल आज पूरी दुनिया को गुमराह कर देने वाले हालात में छोड़े जा रही हैं बल्कि ये पूछने पर भी मजबूर कर रही हैं कि आखिर कल तक जो देश फल-फूल रहे होते हैं उनके अचानक खात्में तक की जरूरत क्यों आन पड़ रही है? क्यों कोई भी नेतृत्व  जन-जन के बीच बढ़ रहे आक्रोश को संभाल नहीं पा रहा? दोस्तों, क्या आपको नहीं लगता कि समग्र विश्व को एक वैचारिक चिंतन की सख्त आवश्यकता आन पड़ी है ताकि जो काले अध्याय विश्व इतिहास की 20th Century में World War I और World War II के रूप में लिखे गए वो दोबारा न होने पाये| इसके लिए मौजूदा हालात कुछ ऐसे विश्व गुरुओं की नुमाइंदगी की आवश्यकता सिद्ध कर रहे हैं जो समग्र विश्व को किसी और संकट में ले जाने से रोक सके|
दोस्तों, ये तो हैं वैश्विक स्तर की रणनीतियों की निर्णायक बातें लेकिन यदि हम अपने देश भारत की बातें करें तो इतना कुछ झेल चुके राष्ट्र के इतिहास की गवाही, यहाँ का लगभग 1 लाख वर्ष पुराना इतिहास चीख-चीखकर दे रहा है कि जिस भारत ने अपने जीवनकाल में कभी भी किसी मुल्क पर पहले हमला नहीं किया वो कैसे अपने देश के नागरिकों के साथ ऐसा कुछ होने दे सकता है वो भी 21st Century के इस आधुनिक युग में जब पूरा राष्ट्र सजग और सतर्क है| ऐसे में अपने गौरवमयी अतीत से सबक लेते हम भारतीयों को अपनी समस्याएँ बुद्धिमतता और जागरूकता की कसौटी पर कसकर ही निपटानी चाहिए, न कि एक जन सैलाब बन किसी नेतृत्व के अगुवाई में क्योंकि इतिहास ने हमें यही सिखाया है कि अपने विवेक को खोकर हमने जब भी भेड़ चाल से कुछ हासिल करने की कोशिश की तो हमें धोखा ही मिला है और यहाँ तो बात हमारे राष्ट्र से जुड़ी समग्र विश्व को धर्म का ज्ञान देने और सामाजिक एकता का संदेश प्रसरित करने की है जिसकी गूंज पूरी दुनियाँ ने सर्व-धर्म सद्भाव के रूप में सदैव ग्रहण की ही, भले ही दुनियाँ के कई और राष्ट्रों में अलग-अलग धर्मों के लोग रह रहे हैं पर जो मिसाल सदियों को भारतीयों ने दी वो बेजोड़ थी, बेजोड़ है और बेजोड़ रहेगी| इसलिए हम भारतीयों को अपने अतीत की ओर अपने मन की उमड़ती भावनाओं को केवल मोड़ना है जहां पहुँचकर हमें उन सारे प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगे जिनके संशय भरे साये में हम अपने देश की छवि दुनियाँ के सामने कमजोर कर रहे हैं| दोस्तों, हम वो राष्ट्र हैं जिसके पास रामायण काल और महाभारत काल से ही मिसाइलों और परमाणु शास्त्रों को बनाए जाने का ज्ञान रहा है लेकिन भारतीयों की ऊंची सोच ने कभी भी अपनी शक्तियों की आधार पर दुनियाँ में राज करने की नहीं सोची| अब कुछ बुद्दिजीवी कहेंगे ये तो शायद बेवकूफी थी, तो मेरी सोच मुझे इसके विपरीत ले जा रही है क्योंकि दुनियाँ का इतिहास आज तक लगभग 100 अरब इन्सानों को एक-दूसरे द्वारा खुद ही मारे-काटे जाने के घटनक्रमों से भरा पड़ा है लेकिन किसी भी इंसान में इतना दम नहीं कि वो उन्हें वापस ला पाये, तो ये सब किसलिए?
मनुष्य की सबलता तो इस बात में होनी चाहिए कि वो इस धरती को अपने शांति के हथियारों से स्वर्ग बनाए न कि इसे नर्क बनाकर  किसी और ग्रह की ओर चल दे जैसा की अब बढ़ती space खोजों और space war की शक्ल में होना शुरू भी हो चुका है और रही अपने राष्ट्र की बात तो  दोस्तों हमारी सोच की कण-कण में जब मात्र भारत ही बसेगा, तो ही हम हमारी आपसी कटुता और क्लेश से निपट सकेंगे|
तो आइये बस अपने सपनों का भारत हम-सब मिलकर बनाएँ....