Hindi Writing Blog: फ़रवरी 2020

सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

साइबर क्राइम: आधुनिक तकनीकी युग की नयी चुनौती

Cyber Crime

दोस्तों, आज एक तरफ जहां चीन सहित दुनियाँ भर के 28 देश कोरोना वाइरस के कहर से कुदरत प्रदत्त इंसानी शरीर को बचाने की जंग लड़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर पूरी दुनियाँ को एक-दूसरे से जोड़कर रखने वाली आधुनिक तकनीकों से लैस मोबाइल और कम्यूटर की साइबर दुनियाँ भी हर रोज नए-नए खतरों का सामना कर रही है| आलम ये है कि इस दुनियाँ से जुड़े अपराध लोगों को इस हद तक अपना शिकार बना रहे हैं कि लोग ये समझ ही नहीं पा रहे हैं कि इंसानी तरक्की में मददगार बनी इन चीजों का इस्तेमाल वो करें या ना करें| दोस्तों, जैसा कि आए दिन हमें समाचार पत्रों और सोशल मीडिया के जरिये ये खबरें पढ़ने को मिल ही जाती हैं कि लोग कितनी तेजी से online धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं और इतना ही नहीं इसके चलते लोगों को जिन दूसरी और समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उसके अनुसार कहीं लोगों के personal information से जुड़े डाटा चोरी हो रहे हैं तो कहीं लोगों की मेहनत से जमा किए गए पैसे उनके ही bank account से एक झटके में ही गायब कर दिये जा रहे हैं|

दोस्तों, ये घटनाएँ इस तकनीकी युग से जुड़ी दुनियाँ का वो काला सच है जिसे हम अपने modern technique से लैस इस era में मात्र एक click से पूरी दुनियाँ को मुट्ठी में कर लेने की सोच के बदले face कर रहे हैं और हमारी इसी सोच को अंजाम देते-देते इस तकनीक में अपराधियों ने किस हद तक जगह बना ली है उसका अंदाजा तो हमें International Judicial Conference में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कही इस बात से ही लगा सकते हैं जिसमें उन्होने डाटा सुरक्षा और साइबर क्राइम को न्यायपालिका के लिए नई चुनौती बताया|
दोस्तों, प्रधानमंत्री जी की ये चिंता जायज भी है क्योंकि साइबर क्राइम के आंकड़ों में दिन पर दिन हो रही बढ़ोत्तरी भी यही संकेत दे रही है हालांकि इस तरह के क्राइम के लिए artificial intelligence की मदद काफी कारगर है लेकिन चिंताजनक बात ये है कि जब सन् 2011 national crime records bureau ने इस तरह के अपराधों में 85% वृद्धि के साथ यह बताया कि इसमें शामिल अपराधियों की आयु 18 से 30 वर्ष के बीच की है यानि इस तरह के अपराधों को करने वाले अधिकतर युवा हैं जो hacking, web hijacking, cyber stocking, cyber bullying, service attack, software attack, virus attack, pornography, बाल यौन शोषण, software piracy, salami attack, phishing जैसे तरीकों का इस्तेमाल कर इस तरह के अपराधों को न केवल अंजाम दे रहे हैं बल्कि समाज में युवाओं की भूमिका को भी सोचनीय बना रहे हैं|
दोस्तों, जैसा की हम सब जानते हैं कि आज हम वैश्वीकरण के जिस युग में जी रहे हैं उसमें हमें दुनियाँ के हर हिस्से से जोड़े रखने में internet ने कितनी अहम भूमिका निभाई है और तो और आज internet के बदौलत ही हम सभी के लिए सामाजिक नेटवर्किंग, ऑनलाइन purchasing, जानकारी का आदान-प्रदान, गेमिंग, ऑनलाइन एजुकेशन, ऑनलाइन जॉब जैसी अनेकों सुविधाएं घर बैठे आसानी से हासिल हो रही है जिसके बारे में आज से पहले हम सिर्फ कल्पना कर सकते थे| आज वो हमारी पहुँच में आसानी से आ गयी है लेकिन हमारी ये सुविधाएं अब कुछ लोगों के निशाने पर आ चुकी हैं और जिसकी भयावहता इस स्तर की है जो आम लोगों के साथ देश की सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों तक को अपना निशाना बना रही है बावजूद इसके दुनियाँ भर के अनुमानत: 4.33 billion active internet users जहां इस technology का इस्तेमाल कर रहें वहीं world population के लगभग 57% लोग internet access रखते हैं जो आकड़ों के लिहाज से दुनियाँ के एक बड़े हिस्से को जोड़े रखता है लेकिन इनमें से ज़्यादातर लोग आज भी साइबर क्राइम की दुनियाँ के खतरों से अंजान होते हैं| ऐसे में इससे जुडने के साथ ही ये जरूरी हो चला है कि समय-समय पर इस दुनियाँ को Commwarrior-A, Welchia, Blaster,  Slammer, NIMDA, Code Red, ILOVEYOU, The Morris Worm, Elk Cloner, Creeper जैसे viruses का सहारा लेकर अपराधियों द्वारा नए-नए तरीकों से दुनियाँ को दहलाने की कोशिश करने वाले अपराधियों और उनके द्वारा किए जाने वाले अपराधों से सतर्क रहें साथ  ही इससे निपटने हेतु हमारी जागरूकता इस तथ्य में निहित है कि इस आपराधिक दुनियाँ से निपटने के लिए हम कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करें और इस तकनीक से जुड़ी सुविधाओं का इस्तेमाल करते वक्त सावधानी बरतें ताकि साइबर क्राइम से जुड़े इन अपराधों पर लगाम लगाई जा सके|
दोस्तों, आने वाले भविष्य के लिए चुनौती बन चुके जन जागरूकता से जुड़े इस विषय पर ये थी मेरी सोच के साथ साझा की गयी जानकारियाँ| इस समस्या का हल भी मानवीय सभ्यता अवश्य ढूंढ लेगी| इसी कामना के साथ जय हिन्द जय भारत...

सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

खेत-खलिहान से जुड़ी भारतीय उन्नति: एक सार्थक सोच


दोस्तों, जहां एक ओर पूरी दुनियाँ में Corona virus के चलते global health emergency declare की गयी है वहीं दूसरी ओर आज भारतीय संसद, आजाद भारत से जुड़े एक और बजट का गवाह बनी जिसमें वर्तमान सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ी कई नई भावी योजनाओं से देश को अवगत कराया| दोस्तों, 130 करोड़ आबादी वाले इस विशाल देश में यूं तो प्रतिवर्ष भारतीय नीति निर्माताओं द्वारा किसानों और खेत-खलिहानों की खुशी के लिए अनेकों योजनाएँ बनाई जाती हैं लेकिन क्या वो पर्याप्त हैं? ये सवाल आज हर किसी के मन में इसलिए कौंध रहा है क्योंकि मौजूदा दौर में जब भारत सहित पूरी दुनियाँ की अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के कयास लगाए जा रहे हैं ऐसे में कभी अतीत के आर्थिक superpower रहे भारत की ओर पूरी दुनियाँ की निगाहें होना लाजिमी है क्योंकि पूरे विश्व के लिए ये मायने रखता है कि भारत कैसे और किस प्रकार भारतीय economy को आने वाले सालों में 5 trillion dollar economy बनाने के लक्ष्य को पूरा कर सकेगा| दोस्तों, विशेषज्ञों की अगर मानें तो इस उन्नति का रास्ता जाता है भारतीय खेत-खलिहानों से होकर दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे जीवन को जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक अन्न उपजाने वाले किसानों और उनके खेत-खलिहानों का विकास कर ही सरकार हमारे देश को तरक्की की राह पर पुनः ले जा सकती है|
मैं ये नहीं कहती कि सरकार के प्रयासों में कोई कमी होती है पर सरकार द्वारा लागू अनेकों योजनाओं के बावजूद storage और transportation के समस्याओं के चलते किसानों को direct इन सुविधाओं का लाभ अभी भी नहीं मिल पा रहा और तो और आम आदमी की महंगी होती खाने की थाली का सटीक मूल्य भी उन्हें नहीं मिल पाता ऐसे में कृषि कार्यों से दूरी बनाये रखना भारतीय युवाओं की पहचान बन चुकी है जिसे हर हाल में रोकना ही होगा| दोस्तों, जैसा कि हम सब जानते हैं कि बीते वर्ष का economic sciences का Nobel prize share करने वाले good economics for hard times के लेखक और भारतीय मूल के economist अभिजीत बनर्जी को मिला था और उनका भी यही मानना है कि भारत की तरक्की का रास्ता भारत के खेतों से ही होकर गुजरता है और हो भी क्यों न हम भारतीय आज इतनी समस्याओं से घिरे होने के बावजूद दुनियाँ के सबसे बड़े कृषि प्रधान राष्ट्र का दर्जा जो रखते हैं यही नहीं दोस्तों, मनुष्य को जीवन देती अन्न उपजाने की परंपरा की शुरुआत कर उसे इस विकसित स्वरूप में लाने वाले इस विशाल देश में खेती आज से लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व सिंधु सभ्यता से ही प्रारम्भ हो चुकी है जो निरंतर विकास के दौर से गुजरते हुए इस रूप में हमारे सामने मौजूद है| ऐसे में कृषिक्षेत्र को अगर हम  भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहें तो गलत न होगा और शायद यही कारण भी रहा है कि भारत पर निरंतर हुए विदेशी हमलों के बावजूद भारत आज भी इतना सम्पन्न है| दोस्तों, हमारे देश में खेल-खलिहानों की खुशिहाली लोगों के जीवन को किस हद तक प्रभावित करती है कि हमारे तीज त्योहारों से लेकर हमारे शास्त्रो जैसे ऋग्वेद, अथर्ववेद, गृह सूत्र, श्रोत सूत्र और पाणिनी की अष्टाध्यायी तक में इनका वर्णन प्राप्त होता है और रही रोज़मर्रा के जीवन में इसके शामिल होने की बात तो इसका सीधा उदाहरण है पद्मश्री से सम्मानित बीजमाता राहीबाई पोपरे, जिन्होने मात्र अपने जीवन के अनुभवों से कृषि जगत को अनुपम भेंट सौपी है जो ये prove करने के लिए काफी है कि भारतीय जनमानस के बीच कृषि क्षेत्र से जुड़ी परम्पराओं की जड़ें कितनी गहरी हैं बस जरूरत है तो इन्हें सींच कर पुष्पित और पल्लवित करने की ताकि भारत की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो सके साथ ही भारतीय खेत-खलिहानों से सदैव राष्ट्र तरक्की की गाथा आने वाले भविष्य में लिखी जाती रहे इसी आशा में जय जवान जय किसान जय विज्ञान...