कभी खुशियों ने राहों में,
छलकाया था हर्ष |
तो कभी गम से,
छिला देश का सीना था ||
जैसे-तैसे करके गुजरा,
सन् 2021 का बारहवों महीना था
|
फिर आई नववर्ष 2022 की अनुपम
बेला,
मन में उम्मीदों की कलियाँ मुस्काईं
||
ऐसा हो बस वैसा हो,
इस सोच ने फिर से ली है अंगड़ाई
|
आशाओं की मांग यही है,
आसान बनें बस राहें सबकी ||
रोग-व्याध भी पास न आए,
सरहद पर बैठे रक्षक भी सकुशल
अपने घर को आएँ |
टनटन बजती स्कूल की घंटी |
अब कभी भी रुकने न पाए ||
ऊपर-नीचे होता जीवन,
लौट कर अब पटरी को आए |
या यूं कह दूँ जगमगाते दीयों
से रोशन,
दुनिया का हर इक हिस्सा हो जाए
||
ऐसी मधुरिम आशाओं संग,
चलो पुनः नववर्ष मनाएँ... चलो
पुनः नववर्ष मनाएँ...
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव “कैलाश कीर्ति”
आप सभी को नववर्ष 2022 की हार्दिक
शुभकामनाएँ....
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