बस यूं ही नजर आ
जाता है हमें,
लेकिन माँ के दिल
में छिपे दर्द को
क्या देखा है किसे
ने?
बच्चों की करती है
जब
दुनिया की बुरी नजरों
से हिफाजत वही माँ,
तो उसके इस आंचल
को दीवार बनते
तो देखा है हम सब
ने,
लेकिन क्या कभी माँ
की आँखों में
सूख चुके आंसुओं
को देखा है किसी ने?
माँ की मूरत ऐसी
है कि
ढूँढने बैठो गम तो
भी
खुशियाँ ही मिलती
हैं हजार दोस्तों,
लेकिन माँ की खुशियों
को
क्या सोचा है किसी
ने?
खुले आसमान से फैले
माँ के आंचल में
सूरज का उजाला है
तो चंदा की चाँदनी भी,
तभी तो जब लोरियां
बरसाए माँ प्यारी
गर्म एहसास संग सुकून
भरी ठंडक को
महसूस किया है हम
सभी ने,
लेकिन क्या तपती
धूप और कड़कड़ाती ठंड में भी
थाली में परोसे गए
खाने को
गर्मागर्म खा लेने
की नसीहत देती,
माँ की आँखों में
पलते सपनों को भी
देखा है किसी ने?
कहती नहीं है माँ
कुछ भी
बस जीवन की हर बाधाएँ
आसान बना देती है,
पर उसकी राहों में
आई मुश्किलों
को क्या देखा है
किसी ने?
माँ के आंचल में
छुपा बेशुमार प्यार...
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव "कैलाश
कीर्ति"
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