Hindi Writing Blog: अप्रैल 2019

रविवार, 21 अप्रैल 2019

Brexit की ज़द में दुनियाई अर्थव्यवस्था

Brexit and World Economy






















आज का दौर भूमंडलीकरण अर्थात Globalisation का है, जहां पूरी दुनिया के लोग न केवल एक दूसरे से अपने-अपने सांस्कृतिक और धर्मिक संस्कारों को साझा कर रहे हैं, अपितु वो आर्थिक और राजनीतिक घटनाक्रमों से भी एक दूसरे को प्रभावित कर रहे हैं| ऐसे में किसी भी एक देश द्वारा लिया गया कोई भी एक फैसला अपने साथ जाने-अनजाने बहुत सारी चीजों को प्रभावित कर जाता है और उन्ही में से एक मुद्दा है Brexit का, जो आज पूरी दुनिया में इसलिए भी विशिष्ट हो चला है क्योंकि अपने अमलीकरण के प्रक्रिया के चलते ये पूरी दुनिया के अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करने वाला है| ऐसा मानना है, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का जिसने इस बात की आशंका जताई है कि सन् 2019 में दुनिया की अर्थव्यवस्था को Brexit का झटका लग सकता है|

तो आइये आज मैं आपसे वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने वाली इसी Brexit के बारे में कुछ अहम जानकारियों को साझा करती हूँ जो हम सभी को इस घटनाक्रम को समझने में मदद कर सके| वास्तव में ये Brexit है क्या? और इसके पीछे की कहानी क्या है, जिसने स्वयं अपनी देशी की सीमाओं को लांघकर पूरी दुनिया पर अपना प्रभाव डालने में सफलता हांसिल कर रखी है| वास्तव में Brexit का अर्थ है कि यूरोपीय महाद्वीप में रहने के बावजूद यूरोपीय देशों के संघ (European Union-EU) से Britain जैसा राष्ट्र बाहर निकलेगा यानि exit करेगा और ऐसा करने का निर्णय Britain ने अपने देश के नागरिकों के EU में शामिल होने के कारण आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों में आई कमी के चलते किया है|

Britain द्वारा EU छोड़ने के फैसले की वकालत करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री David Cameron ने 2015 के आम चुनाव में ये बात कही थी कि अगर वो चुनाव जीतते हैं तो इसके लिए वो जनमत संग्रह कराएंगे और ऐसा करने के लिए उनकी पार्टी लगातार दबाव बना रही थी और इस दबाव के चलते वहाँ जनमत संग्रह हुए भी, जहां EU छोड़ने और EU के साथ रहने वालों का अनुपात 51:49 रहा था क्योंकि उनका मानना था कि अब वक्त आ चुका है कि Britain के लोगों को तरजीह दी जाये| Britain द्वारा EU से बाहर आने का फैसला अब सारी प्रक्रियाओं से गुजर कर अपने अंतिम चरण में पहुँच चुका है, लेकिन world war II के बाद आर्थिक सहयोग के गरज से EU का (यूरोपीय संघ) का निर्माण किया गया ताकि यूरोपीय देशों की सीमाएं व्यापार में एक-दूसरे के लिए बाधक न बनें लेकिन बदले वक्त के बाजारीकरण ने परिस्थितियाँ बदल दी हैं| स्वयं की मुद्रा, स्वयं की संसद रखने वाले इस संघ पर लंबी चौड़ी membership fee वसूलने का दावा करने वाला Britain अब इससे बाहर आना चाहता है और ऐसा हो भी क्यों न, आज के हालात world war II के बाद के हालत से बिल्कुल अलग हो गए हैं|


एक तरफ जहां Britain, EU से निकलने की प्रक्रिया को तवज्जो दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ EU में बने रहने के लिए चीन और अमेरिका जैसे देशों के साथ ही उसके खुद के अधीनस्थ राज्य Scotland और वहाँ की labor party दबाव डाल रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि Brexit की प्रक्रिया से United Kingdom (UK) के आर्थिक मुद्दों सहित अन्य विकासात्मक मुद्दों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जो कहीं से भी UK और इसके नागरिकों के हित में नहीं है|
आगाज तो शुरू है.......................................................................पर अंजाम अभी बाकी है|
  क्यूंकी Brexit जैसा घटनाक्रम दुनिया की अर्थव्यवस्था को न जाने किस ओर ले जाएगा?

शनिवार, 13 अप्रैल 2019

वो सन् 1919 की 13 अप्रैल......आज सन् 2019 की 13 अप्रैल























शहीदों की चिताओं पर, लगेंगे हर बरस मेले |
वतन पर मरने वालों का, यही बाकी निशां होगा ||

वाकई आज भी भारत को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराकर स्वतंत्रता की नई सुबह का दर्शन कराने वाले देश के वो शूरवीर जो इस लड़ाई को लड़ते -लड़ते अपने प्राणों की आहूति दे इस धरा से हमेशा के लिए विदा ले गये ,लेकिन उनके कर्मो का क्षेत्र बनी भारत की इस भूमि पर आने वाली पीढ़ियां हमेशा उनके दर्द को महसूस करते हुए अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करती रहेंगी यानि दूसरे शब्दों में हम ये कह सकते हैं कि उनकी यादों पर श्रद्धा के पुष्प हाथों में लिये हर शहीद दिवस पर मेले ही तो लगते ही  हैं लेकिन तारीखें गवाह हैं कि मुल्क के लिए अपने प्रेम को दर्शाने वाले शहीदों ने इसके हितों की लड़ाई लड़ते-लड़ते अपने प्राणों को इस मातृ भूमि को अर्पित कर दिया वो भी बिना किसी गिले के|
कुछ ऐसा ही हुआ था आज से ठीक सौ साल पहले सन् 1919 के उस मनहूस दिन जब भारत माँ को ब्रिटिश शासन की गुलामी से मुक्त कराने का अरमा अपने दिलों में लिए न जाने कितने हिन्दुस्तानियों को कायर ब्रिटिश जनरल डायर ने  अमृतसर के जलियांवाला बाग में मौत की नींद सुला दी थी, उस घटना को घटे आज 100 वर्ष पूरे हो गए और आज के इस सशक्त भारत में उस दिन से लेकर अब तक कितना कुछ बदल गया है आज भारत दुनियां की महाशक्तियों में से एक बन चुका है और उधर कभी पूरी दुनियां पर शासन करने वाले ब्रिटेन का साम्राज्य सिमट कर एक देश तक आ गया और तो और तब से लेकर अब तक ब्रिटेन की “Thames” और भारत की “Ganga”  दोनों में न जाने कितना पानी बह चुका है, तब जाकर आज से लगभग तीन दिन पहले भारत और इसमें रहने वाले  भारतवासियों को कभी अमानवता की क्रूर भट्ठी में झोकने वाले ब्रिटेन की प्रधानमंत्री “Theresa May” ने इस घटना के प्रति पश्चाताप जताया, वाकई ये देर से हुआ लेकिन आज भारत की जो पहचान बनी है उसके पीछे जरूर उन शहिदों की शहादतें हैं जिनके निशां आज भी देखने वालों को इस घटना के मूक दर्शक बनी 'जलियाँवाला बाग' की दीवारों पर मिलते हैं|

आज जब कभी भी मैं भारत की उन्नति के इस दौर का अवलोकन करती हूँ तो मुझे एक बात स्पष्ट रूप से नजर आती है कि हमारा देश भारत दुनिया का वो देश है जिसने न जाने कितने आघातों को झेला और न केवल पुनः उठ खड़ा हुआ अपितु अपने होने के अस्तित्व का भी परिचय दुनिया को कराया है| मुझे गर्व है एक भारतीय होने पर क्योंकि भारत और भारतीयता ये दोनों ऐसी भावनाएँ हैं जिसकी शक्तियों को हर वक्त न केवल इस संसार ने बल्कि इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड ने भी महसूस किया है|                  

                       जय हिन्द, जय भारत 

रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ



























कलयुग की अयोध्या में प्रभु राम को मिले दूसरे वनवास को चरितार्थ करती इन पंक्तियों के साथ आप सभी को प्रभु राम के जन्म पर रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ…

राम-राम मय है ये धरती, त्रेता से ले कलयुग तक...
कहीं राम का शंख नाद था, वहीं राम की है अब गूंज|
राम-राम मय है ये धरती, त्रेता से ले कलयुग तक...
कहीं अंत था अहंकार का, वहीं प्रतीक्षा है अब गृह की|
राम-राम मय है ये धरती, त्रेता से ले कलयुग तक...
कहीं दमन था सृजन के लिए, वहीं प्रविष्टि पर है अब रोक|
राम-राम मय है ये धरती, त्रेता से ले कलयुग तक...

                           ("कैलाश कीर्ति (रश्मि)" द्वारा रचित)

रविवार, 7 अप्रैल 2019

कहानी उनकी जिनकी सफलताओं ने रचा इतिहास




सफलता एक ऐसा शब्द जिसको हांसिल करने का लक्ष्य शायद हम सभी निर्धारित करते हैं, लेकिन इससे मिलने वाला परिणाम हम सभी को एक समान संतुष्ट नहीं कर पाता, किसी को सफलता आसानी से और अथाह मिल जाती है तो कोई न जाने कितने असफलताओं का स्वाद चखने के बाद सफलता को प्राप्त करता है और उसकी सफलता देख हम सभी ये सोचने लग जाते हैं कि कैसे इतनी आसानी से इन्हे सबकुछ मिल गया, पर शायद हमारी ये सोच उस तात्कालिक घटनाक्रम को देखकर ही प्रभावित हो जाती है, उससे जुड़े पिछले वाकयों को न हम देख पाते हैं और न ही देखना चाहते हैं क्योंकि वास्तविकता में सच्चाई इससे कोसों दूर होती है| आज जिनकी शोहरत पर हम अपना शीश झुकाते हैं वो भी हमारे-आप जैसे ही अपने जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए एक लंबे संघर्ष का सामना करके ही यहाँ तक पहुंचे हैं| यदि हम इक्का-दुक्का उदाहरणों को छोड़ दें तो सारी बड़ी शख्सियतें जिन्होने आज सफलता के नये आयाम तय किए हैं वो सभी असफलता की सीढ़ियों से होकर ही गुजरें हैं, बस उनमें और असफल कहे जाने वालों के बीच फर्क बस इस बात का होता है कि सफल इंसान सफलता हांसिल करने को अपनी जिद्द और असफल इंसान उसे किस्मत से मिला मात्र एक मौका समझकर हार मानकर बैठ जाता है|

बस आज मैं आपको  सफलता और असफलता के कशमकश से उबरकर सामने आई उन महान शख्सियतों की प्रेरक कहानियों से रूबरू कराऊँगी जो अपने कर्मों के बल पर आज सम्पूर्ण संसार को एक नयी दिशा दे रहे हैं और इस कड़ी में पहला नाम आता है "Bill Gates" का, जिनको कभी उनकी टीचर ने क्लास की performance अच्छी न होने पर ट्रक ड्राईवर बनने की सलाह दी थी, तो वहीं दूसरा नाम है "Dhirubhai Ambani" का जिन्होने अपने जीवन की शुरुआत में मिली असफलताओं के बावजूद एक रेवड़ी चलाने से लेकर अरबों का साम्राज्य तक खड़ा किया| इतना ही नहीं इस कड़ी में जो अगला नाम है, वो है "Thomas Alva Edison" जिन्होने 1000 प्रयोगों के बाद दुनिया को रोशन करने वाला मानव रचित आविष्कार बल्ब के रूप में दिया| सफलता की कहानी लिखने वाली जो अगली पंक्ति है वो है चार साल तक न बोल पाने और सात साल तक न पढ़ पाने वाले "Albert Einstein" की जिन्होने E=mc2 की रचना कर न केवल विज्ञान जगत अपितु पूरी दुनिया को नयी दिशा दी और इन सबसे भी आगे बढ़कर जो नाम आता है वो है बच्चे-बच्चे की जुबान पर छाए "Disney" का जिसके कर्ता-धर्ता "Walt Disney" को एक अखबार ने उनकी कल्पनाशीलता के कमी के चलते नौकरी से निकाल दिया था, इनके अलावा Britain के पूर्व प्रधानमंत्री "Winston Churchill" का, जो दो बार Britain के प्रधानमंत्री बनें, लेकिन इससे पहले हुए सारे चुनाव में उनकी हार हुई थी| इन कहानियों की शृंखला में जो अन्य नाम है वो हैं, Narendra Modi, Nelson Mandela, Mahatama Gandhi, Jack Welch, आदि|

सफलता और असफलता की इन कहानियों की फेहरिस्त में हर रोज नए-नए चेहरे शामिल होते जा रहे हैं पर उन सभी का नाम इस छोटे से लेख में शामिल कर पाना मुश्किल है, लेकिन इन शख़्सियतों की कहानियों से जुड़े किस्सों का जिक्र बार-बार लेकर आना हमें वो मनोबल दे जाता है जिसकी आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में सबसे ज्यादा दरकार है|


आज वक्त तेजी से बदलता जा रहा है औरों को मिली सफलताएँ कभी-कभी हमारी असफलता पर हमें ग्लानि से भर देती हैं लेकिन यदि हम इन वेत्ताओं की ज़िंदगियों पर नज़र डालें तो शायद वो हमारे जीवन की दिशा ही बादल दें, क्योंकि प्रेरणाओं का जरिया चाहे जो हो बस हमारी इच्छा शक्ति को हमेशा बल मिलते रहना चाहिए| तभी तो हम आज नहीं तो कल सफलता को जरूर हांसिल कर पाएंगे| 

शनिवार, 6 अप्रैल 2019

नवरात्रि की आपको बधाई



द्वि खुशियों के आह्वान से, झूम रहा संसार |
एक तरफ है नया वर्ष तो, दूजा है नवरात्र ||
                            ("कैलाश कीर्ति (रश्मि)" द्वारा रचित)


नववर्ष की पावन बेला पर माँ दुर्गा के स्नेहाशीष के आकांक्षी सभी मानव जन को हिंदी नववर्ष और चैत्रीय नवरात्र  की मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं