Hindi Writing Blog: वो सन् 1919 की 13 अप्रैल......आज सन् 2019 की 13 अप्रैल

शनिवार, 13 अप्रैल 2019

वो सन् 1919 की 13 अप्रैल......आज सन् 2019 की 13 अप्रैल























शहीदों की चिताओं पर, लगेंगे हर बरस मेले |
वतन पर मरने वालों का, यही बाकी निशां होगा ||

वाकई आज भी भारत को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराकर स्वतंत्रता की नई सुबह का दर्शन कराने वाले देश के वो शूरवीर जो इस लड़ाई को लड़ते -लड़ते अपने प्राणों की आहूति दे इस धरा से हमेशा के लिए विदा ले गये ,लेकिन उनके कर्मो का क्षेत्र बनी भारत की इस भूमि पर आने वाली पीढ़ियां हमेशा उनके दर्द को महसूस करते हुए अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करती रहेंगी यानि दूसरे शब्दों में हम ये कह सकते हैं कि उनकी यादों पर श्रद्धा के पुष्प हाथों में लिये हर शहीद दिवस पर मेले ही तो लगते ही  हैं लेकिन तारीखें गवाह हैं कि मुल्क के लिए अपने प्रेम को दर्शाने वाले शहीदों ने इसके हितों की लड़ाई लड़ते-लड़ते अपने प्राणों को इस मातृ भूमि को अर्पित कर दिया वो भी बिना किसी गिले के|
कुछ ऐसा ही हुआ था आज से ठीक सौ साल पहले सन् 1919 के उस मनहूस दिन जब भारत माँ को ब्रिटिश शासन की गुलामी से मुक्त कराने का अरमा अपने दिलों में लिए न जाने कितने हिन्दुस्तानियों को कायर ब्रिटिश जनरल डायर ने  अमृतसर के जलियांवाला बाग में मौत की नींद सुला दी थी, उस घटना को घटे आज 100 वर्ष पूरे हो गए और आज के इस सशक्त भारत में उस दिन से लेकर अब तक कितना कुछ बदल गया है आज भारत दुनियां की महाशक्तियों में से एक बन चुका है और उधर कभी पूरी दुनियां पर शासन करने वाले ब्रिटेन का साम्राज्य सिमट कर एक देश तक आ गया और तो और तब से लेकर अब तक ब्रिटेन की “Thames” और भारत की “Ganga”  दोनों में न जाने कितना पानी बह चुका है, तब जाकर आज से लगभग तीन दिन पहले भारत और इसमें रहने वाले  भारतवासियों को कभी अमानवता की क्रूर भट्ठी में झोकने वाले ब्रिटेन की प्रधानमंत्री “Theresa May” ने इस घटना के प्रति पश्चाताप जताया, वाकई ये देर से हुआ लेकिन आज भारत की जो पहचान बनी है उसके पीछे जरूर उन शहिदों की शहादतें हैं जिनके निशां आज भी देखने वालों को इस घटना के मूक दर्शक बनी 'जलियाँवाला बाग' की दीवारों पर मिलते हैं|

आज जब कभी भी मैं भारत की उन्नति के इस दौर का अवलोकन करती हूँ तो मुझे एक बात स्पष्ट रूप से नजर आती है कि हमारा देश भारत दुनिया का वो देश है जिसने न जाने कितने आघातों को झेला और न केवल पुनः उठ खड़ा हुआ अपितु अपने होने के अस्तित्व का भी परिचय दुनिया को कराया है| मुझे गर्व है एक भारतीय होने पर क्योंकि भारत और भारतीयता ये दोनों ऐसी भावनाएँ हैं जिसकी शक्तियों को हर वक्त न केवल इस संसार ने बल्कि इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड ने भी महसूस किया है|                  

                       जय हिन्द, जय भारत 

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