राम की गाथा सदियों से गा रहे हैं,
उनमें समाहित गुणों को अपना कहाँ रहें हैं,
राम से कर दूरी रावण जला रहे हैं,
जय-पराजय की परंपरा निभा रहे हैं,
कुसंगति का, दे
साथ
मूल्यों को मिटा रहे हैं
खुद होकर जिम्मेदार, बेकसूर बता रहे हैं
कलयुग की रामायण हम खुद बना रहे हैं
अभी वक्त है संभल लें, फिर भी दूर जा रहे हैं
राम की गाथा सदियों से गा रहे हैं,
राम
की गाथा सदियों से गा रहे हैं...
स्वरचित रश्मि
श्रीवास्तव (कैलाश कीर्ति)
स्वयं के अन्तर्मन से प्रभु राम के गुणों को अपनाने के संकल्प
के साथ बुराई पर अच्छाई की जीत के इस जीवंत पर्व विजयादशमी की आप सभी को ढेरों
शुभकामनाएँ...
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