Hindi Writing Blog: अदभुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला

रविवार, 3 फ़रवरी 2019

अदभुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला

https://rashmisrivastavablog.blogspot.com/2019/02/blog-post.html

भारत सृजन का वो रूप अनुपम था
विभूषित था, सुसज्जित था वो स्वरूप अनुपम था
लिखा है पत्थरों में जो वो इतिहास अलौकिक था
भारत सृजन का वो रूप अनुपम था,
भारत सृजन का वो रूप अनुपम था...
                         ("कैलाश कीर्ति (रश्मि)" द्वारा रचित)

मेरा देश भारत जिसके बारे में व्याख्या करते-करते मुख और उँगलियाँ भले थक जाएँ पर इसके व्याख्यान का अंत नहीं है, वो तो अनंत है| आज मैंने अपने इसी देश के उन महान कला धरोहरों को अपनी परिचर्चा(DISCUSSION) का केंद्र बनाया है जो प्राचीन होकर भी अपनी आधुनिकता से नवीनता के आवरण में लिपटी हुई है और सम्पूर्ण विश्व को अपने आकर्षण में खींचे चली जा रही है|

सिंधु सभ्यता(INDUS VALLEY CIVILIZATION) से चला आ रहा स्थापत्य (ARCHITECTURE) का ये बेजोड़ सिलसिला न केवल वर्तमान तक जारी है अपितु भारत की प्राचीनता आज भी एक नए व आधुनिक आयाम(DIMENSION) को चुनौती दे पाने में सक्षम है क्योंकि आज का आधुनिक युग अगर तरह-तरह की मशीनों का प्रयोग कर स्थापत्य(ARCHITECTURE) कला को स्वरुप प्रदान कर रहा है तो प्राचीन काल के भारत ने मात्र मानवीय सोच और कल्पना के बूते एक ऐसे राष्ट्र और सभ्यता को जन्मा था जो आज के इस वर्तमान युग के लिए अदभुत, अविश्वसनीय और अकल्पनीय है|



प्राचीन भारत की वास्तुकला के इस महिमा मंडन के पीछे मेरी आकांक्षा हड़प्पा सभ्यता के उस जीवंत साक्ष्य यानि सुनियोजित नगर योजना, मौर्य काल के स्तम्भों(PILLARS) और स्मारकों (MONUMENTS) और शुंगो, कुषाणों, सातवाहनों के स्मारकों, स्तूपों, गुफाओं, मंदिरों(चैत्य), विहारों, शैलकृत गुफाओं, गुप्त काल के मंदिरों व दक्षिण की शानदार द्रविड़ शैली से आप सभी को अवगत कराने की है, क्यूंकि इन्ही कालों में रचे गए स्थापत्य(ARCHITECTURE) के ये बेहतरीन नमूने आज भी पूरी दुनिया में भारत और भारत के लोगों की वास्तु के प्रति गहराई को दर्शाते हैं और साथ ही इन कालों में रचे गए इन स्मारकों पर उत्कीर्ण ऐतिहासिक तथ्य व स्मरण हमारे राष्ट्र की महानता का भी गुणगान करते हैं, क्योंकि जिस सुनियोजित तरीके से अपनी नगर संरचना को सिंधु सभ्यता निवासियों ने सुसज्जित किया था वो आज भी अखिल विश्व के लिए अनुकरणीय है इतना ही नहीं मौर्य काल में सम्राट अशोक द्वारा लाटों पर कराई गयी पालिश आज भी सीसे की भाँति चमकती है साथ ही ऐसे बहुत सारे अचंभित कर देने वाले स्थापत्य(ARCHITECTURE) के अनुपम उदाहरण हैं जो ये संकेत देते हैं कि प्राचीन काल का भारत आज की आधुनिकता को चुनौती दे पाने में काफी हद तक सफल था और उसकी यही सफलता इस बात की ओर इशारा करती है कि प्राचीन का भारत स्थापत्य(ARCHITECTURE) कला में अद्वितीय था...

और ये सिलसिला यहीं नही रुकता भारत की धरोहरों के आकर्षण ने विश्व की प्रतिष्ठित संस्था UNESCO को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वो स्थापत्य(ARCHITECTURE) के इन बेजोड़ नमूनों को न केवल भारत की अपितु पूरे विश्व की धरोहर घोषित करे और अपनी इसी प्रेरणा पर अमल करते हुए UNESCO ने ऐसा किया भी उसने हम्पी, खजुराहो, अजंता, एलोरा, एलीफैंटा, फतेहपुर सीकरी, कोणार्क, मल्लापुरम, पटदक्कल, चम्पानेर, पावागढ़, साँची, चोलपुरम, दारासुरम, चित्तौड़ गढ़ के किले, कैलाश मंदिर आदि को विश्व धरोहर घोषित कर दिया|

पूरे विश्व की ओर से आयी इस पहल का स्वागत करते हुए हम सभी भारतीयों का भी ये दायित्व है कि हम अपनी इन प्राचीन स्थापत्य(ARCHITECTURE) कलाओं को भविष्य के लिए सुरक्षित रखें क्योंकि ये विशिष्ट नमूने हमारे राष्ट्र का गर्व थे, गर्व हैं और गर्व रहेंगे|
                             जय हिन्द, जय भारत...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें