Hindi Writing Blog: भारतीय वीरांगनाओं की अनसुनी दास्तान (Unheard Braveries of Indian Women)

रविवार, 24 फ़रवरी 2019

भारतीय वीरांगनाओं की अनसुनी दास्तान (Unheard Braveries of Indian Women)

























सशक्त थीं, सतेज थीं,
समुन्द्र का वो वेग थीं |
पराक्रम की जोत थीं,
निर्मूल में भी मूल थीं |
निरिहता का त्याग थीं,
वो वीरता का राग थीं |
देश भूमि से जुड़ी, वो भारत का ताज थीं,
वो भारत का ताज थीं…
                       ("कैलाश कीर्ति (रश्मि)" द्वारा रचित)

समय साक्षी है कि सृष्टि ने इस धरती को अपनी दो अनमोल कृतियों नर और नारी से संवारा है, जो बदलते वक्त के साथ एक दूसरे का पूरक बन मानव संरचित इस समाज के नवनिर्माण में अपनी अतुलनीय भूमिका निभा रहे हैं जिसके चलते इस समाज में कभी-कभी विरोध के स्वर भी गूँजते हैं, परंतु इनसे निपटने में पुरुषों के साथ स्त्रियॉं द्वारा कंधा मिलकर निभाई कर्तव्य पूर्ति ने न केवल पुरुषों को बल दिया है अपितु इस समाज को भी नारी गर्व की गाथा सुनने पर मजबूर कर दिया है|

आज मेरा ये लेख भारत की उन वीरांगनाओं को समर्पित है जिन्होने अपने कृत्यों द्वारा न केवल भारत की माटी को धन्य किया अपितु अपने ऋणों के तले सारे भारतीय जनमानस को समावेशित कर लिया जिसे न केवल समकालिक इतिहास सँजोता है अपितु आने वाला इतिहास भी उनकी गाथाएँ सुनने के सपने देखता है|

भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसमे बसे वीरों का लोहा तो पूरी दुनिया मानती है और इसी कड़ी को आगे ले जाती हैं हमारी भारतीय वीरांगनाएँ जिनके शौर्य और बलिदान ने देश को नयी दिशा दी है| हम सभी जानते हैं कि हमारा राष्ट्र भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जिसे सबसे ज्यादा विदेशी आक्रांताओं का न केवल सामना करना पड़ा अपितु एक लंबे समय तक गुलामी की जंजीरों में भी जकड़े रहना पड़ा| इन जंजीरों को तोड़ने में भारत के वीरों का अगर किसी ने साथ दिया तो वो थीं भारतीय वीरांगनाएँ जिनके अदम्य शौर्य और साहस की तेजस्विता ने बुलंदी की एक नई तस्वीर दुनिया को दिखाई| इन वीरांगनाओं ने ये सिद्ध किया कि "महिला सशक्तता (Women Empowerment)"  मात्र एक शब्द नहीं ये एक भावना है जिसपर भविष्य में आने वाले स्त्री समाज को चलना ही होगा|


इस कड़ी को जोड़ने वाली वो वीरांगनाएँ जिन्होने अतीत बदलकर भविष्य सँवारने की पहल की उनमे प्रथम नाम जो आता है वो है कित्तूर की रानी "चेन्नम्मा" का जिन्होने 1857 गदर से 33 वर्ष पूर्व ही ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारतीय नारी के सशक्त इरादों को प्रस्तुत किया था| दूसरा नाम “रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai)” का है, जिनकी शख्सियत और अप्रतिम शौर्य की गाथाएँ आज भी पूरा हिंदुस्तान गाता है| इस कड़ी में अगला नाम है "बेगम हज़रत महल" का, जिन्होने तो धर्म की विभेदकारी दीवार ढहाकर अपनी सूरता दिखाई थी| शौर्य गाथा की ये कहानी यहीं नही रुकती, ये चरम पर तो तब पहुंची जब आयरलैंड की "Annie Besant" ने अपने उसी देश के खिलाफ होकर हमारे राष्ट्र का साथ दिया जिसमे वो जन्मी थीं| इन कड़ियों में अन्य नाम जो हैं वो हैं "महारानी पद्मिनी", "रानी दुर्गावती", "रानी कर्णावती", "महारानी तपस्विनी", "पन्ना धाय", "भीकाजी कामा", "सुचेता कृपलानी", "सरोजिनी नायडू", "अरुणा आसफ अली", "कमला नेहरू", "अमृता देवी", "डॉक्टर लक्ष्मी सहगल", "दुर्गाभाई देशमुख", आदि| इनके नामों की लंबी सूची इस बात का आंकड़ा उपलब्ध कराती है कि भारत कि माटी ने न जाने कितने अनमोल नगीने जन्मे थे और ये सिलसिला आज भी कायम है और इसी भारत के इतिहास में भारतीय वीरांगनाओं से जुड़े पन्ने नित-प्रतिदिन जुड़ते जा रहे हैं|

अंत में मैं बस यही कहूँगी कि धन्य है ये माटी जहां के शौर्य और साहस की दास्तान पूरी दुनिया को स्तब्ध करने का माद्दा रखती है| नमन है मेरा देश की धरती में जन्में इन माँ भर्ती के वीर सपूतों और वीर सुपुत्रियों को जिनके बलिदानों के कर्ज तले भारत सदैव ऋणी रहेगा|


                                    जय हिन्द, जय भारत...

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