अपने लेखों की शृंखला
को पुनः प्रारम्भ करने से पूर्व मैं आप सभी को देश के महान लोकतान्त्रिक
उत्सव के सकुशल सम्पन्न होने और हमारे राष्ट्र भारत में एक बार फिर लोकतान्त्रिक सरकार
के निर्वाचित किए जाने की बहुत-बहुत बधाई देती हूँ, साथ ही दुनिया
के इस महान लोकतान्त्रिक देश के समक्ष स्वयं को नतमस्तक करती हूँ क्योंकि इस राष्ट्र
ने हम सब को न जाने कितना कुछ दिया है, परंतु बदले में वो सिर्फ
हमसे इस राष्ट्र के प्रति उस प्रेम का समर्पण चाहता है जिसमें माँ भारती के सभी बच्चे
एक साथ विविधता के रंगों से निकलती सुनहरी किरणों से एक दूसरे को देदीप्यमान करते हुए
सामाजिक समरसता की भावना में लिप्त रहें और इस राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त
करते रहें|
कहते हैं किसी लेख में प्राण वायु तभी उपजती है जब उसे पढ़ने वाले सच्चे पाठक मिल जायें| मेरी लेखनी को भी दरकार इसी भावना की थी लिहाजा मानवीय जीवन के इर्द-गिर्द हो रही समग्र प्रेरक और अंतर्मन को उद्द्वेलित कर देने वाली घटनाओं को अपनी लेखनी के माध्यम से समाज के अन्य जनों तक पहुंचाने की आकांक्षा ने मुझे ये ब्लॉग लिखने की प्रेरणा दी|
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