Hindi Writing Blog: विविध धर्मों की आंतरिक खूबसूरती ही तो जीने की कला सिखाती है.....

रविवार, 12 मई 2019

विविध धर्मों की आंतरिक खूबसूरती ही तो जीने की कला सिखाती है.....

World Culture and Religion

धर्म (Religion) एक ऐसा मसला है जिसपर पूरी दुनियाँ में एक नहीं हजारों बार हिंसक प्रदर्शन हो चुके हैं लेकिन शायद जब कभी भी किसी धर्म के नाम पर हम ऐसा करते हैं, हम भूल जाते हैं कि वास्तव में धर्म एक ऐसी खूबसूरत सी- डगर है जिसपर चलकर इस समाज को एक बार नहीं न जाने कितनी बार सही दिशा का ज्ञान भी प्राप्त हुआ है, तो ऐसे में हमें मात्र इसके खूबसूरत पहलू को लेकर न केवल चलना चाहिए अपितु उसी को आगे भी बढ़ाना चाहिए| सदियाँ गवाह हैं कि मानव सभ्यता के जन्म के साथ ही मनुष्य के सांस्कृतिक विचारों (Cultural thoughts) ने भी जन्म लेना प्रारम्भ कर दिया और जिसके फलस्वरूप इस संसार में अनेकों धर्मों और मतों ने जन्म लिया और जिसके फलस्वरूप धीरे-धीरे ये दुनियाँ रंगीन और खूबसूरत हो गयी क्योंकि इंसान के विकसित स्वरूप के साथ जहां धर्म और मत आए वहीं दूसरी ओर आया अनेकों तरह के सांस्कृतिक (Cultural), आर्थिक (Economical), राजनीतिक (Political) और सामाजिक (Social) व्यवहारों के आदान प्रदान की क्रियाओं (actions) और प्रतिक्रियाओं (Reactions) का दौर, जिन्होने अतीत से लेकर वर्तमान तक सिर्फ और सिर्फ मानव जीवन को संवारा है| ऐसा कहना इसलिए भी यथार्थ (Equitable) हो जाता है क्योंकि एक बारगी हम अपने मन को स्थिर कर बस इतना भर सोचें कि जिस समाज को कई सारे परिवार मिलकर निर्मित करते हैं उनमें से प्रत्येक परिवार अलग-अलग धर्मों से भी आते हैं यानि हर परिवार में अपने बच्चों को धर्म की सही तालीम, सही खूबसूरती कितनी बारीकी से पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाई जाती है जिनके आधार पर एक सशक्त व्यक्ति का जन्म होता है जो इस समाज को एक नयी दिशा देने में अपनी अहम भूमिका निभाता है|


आज मैंने धर्मों की इस खूबसूरती का ताना-बाना इसलिए बुना है क्योंकि मैंने इन चीजों को खुद महसूस किया है कि कैसे एक माँ अपने बच्चे को विविध धर्मों की अच्छी सीखों का पाठ पढ़ाती है ताकि उसका बच्चा आने वाले भविष्य में सुसज्जित इंसान का आकार प्राप्त कर सके और इतना ही नहीं कैसे दुनिया भर के विविध धर्मों से जुड़े लोग जब कोई त्योहार मनाते हैं तो उसकी गूंज हर किसी के कानों में पड़ती है, कितना अच्छा लगता है खुशियों के वाहक, धर्म की मर्यादा को बढ़ाना..... जो केवल रोचक(Interesting) ही नहीं अपितु अंतहीन(Endless) भी है|
जो जिस नजरिए से देखता है उसे धर्म की परिभाषा वैसी ही नजर आती है, यदि हम धर्म के कुछ विशिष्ट पहलुओं पर जाएँ तो हमें बस इसी चीज का ज्ञान होगा कि धर्म वास्तव में एक ऐसी विधा है जो संसार के विभिन्न समूहों(Groups) को तैयार तो करती है परंतु मात्र इसलिए कि जब ये समूह आपस में जुड़ें तो अपनी अच्छाइयों से एक दूसरे को लाभान्वित कर सकें क्योंकि केवल एक चीज पूरी तरह परिपक्व कभी नहीं होती शायद इसीलिए इन अच्छाइयों के विभाजन से जो खूबसूरती निकलती है वही तो हमें जीने की कला सिखाती है|

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