पिछले
हफ्ते पूरी दुनिया से जिस तरह के दिल दहलाने वाले घटनाक्रम हम सबके सामने आए, उन सब से हमारा मन आहत तो होता ही है और हम ये समझ नहीं पाते कि ऐसा
क्यों हो रहा है? वैसे तो जब भी हम समाज में अपने इर्द-गिर्द
नजरें दौड़ाते हैं तो न जाने कितने घटनाक्रमों से हमारा सामना होता है जो न केवल
अप्रिय होती हैं अपितु हमारे दिल को भी एक अंजाने भय से दहला जाती हैं|
आज जब कभी
भी मैं अपने देश के अप्रिय समाचारों से नजरें बचाने के लिए दुनिया के गलियारों में झाँकती हूँ, तो वहाँ भी मुझे वही नजारा देखने को मिलता है जो
मानव-जीवनधारा को ही रौंदने पर आमादा है और जिसके घटित होने के पीछे कोई अदृश्य
ताकत नहीं बल्कि स्वयं इंसान ही है जिसकी बुद्धिमत्ता का लोहा पूरी दुनिया मानती
है| न जाने ऐसा क्यों हो रहा है, इसका
उत्तर ढूंढते-ढूंढते हम सब भले थक जाएँ पर इन घटनाक्रमों को अंजाम देने वाले
नहीं थकते और जिसका परिणाम हैं ये दिल दहलाने वाली घटनाएँ!!!
ये कैसी लड़ाई है? और
किसके विरुद्ध है? कुछ समझ ही नहीं आता, माना कि इंसानी फितरत में लड़ाई भी शामिल है लेकिन वो मात्र स्वस्थ् प्रतिस्पर्धा के लिए है न कि मानव जीवन का ही गला घोटनें के लिए| अभी पिछले हफ्ते श्रीलंका (Sri Lanka) में जो कुछ हुआ, उसने
मन को इतना आहत किया कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? जिस बुद्ध
कि धरती से दुनिया के लिए शांति संदेश निकलना चाहिए वहाँ न जाने कितने निर्दोषों
ने अपने ईश को पूजते-पूजते अपनी जान गवां दी, दिल दहल
गया कि आखिर कब बंद होगा ये सब? वहीं दूसरी ओर भारत (India) सहित दुनिया के अन्य देशों अमेरिका (US), ऑस्ट्रेलिया (Australia) और
लीबिया (Libya) से भी मानव धन की कीमत पर हांसिल की जा रही जीत अन्तर्मन को अंदर तक छलनी
कर देती है|
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है| आज न जाने कितने वर्षों से ये सब हो रहा है, बस
अब तरीका बदल गया है और डर लगता है इससे कि कहीं ये तरीका मानव जीवन के वजूद को ही
न खत्म कर दे| वैसे तो हमारे पड़ोस में किसी के द्वारा
की गयी आत्महत्या जैसी घटना भी हमारे दिल को दहलाने के लिए पर्याप्त होती है फिर
ऐसे में इतनी बड़ी घटनाएँ हमें कुछ दिनों, कुछ सालों के
लिए सकते में डाल जाती हैं|
कभी-कभी तो
मन सोचता है कि हमारी इस दुनिया में इतना भटकाव क्यों है? क्या ये कारवां यूं ही चलता रहेगा या इसमें कुछ बदलाव भी कभी आएगा? क्या आप सब को यह नहीं लगता कि एक बार फिर इस धरती पर महात्मा बुद्ध और
महावीर जैन जैसे शांति दूतों का आगमन नहीं होना चाहिए? आखिर हम
सबके इस धरती पर होने का मतलब क्या है? हम क्यों विवश होते
हैं एक खुशनुमा जिंदगी के स्वप्न से परे होने को? क्या इस
धरती पर समस्याएँ कम हैं, जो इस धरती पर हम इंसान क्षण प्रति क्षण नयी-नयी समस्याएँ पैदा करते जा रहे हैं? ये प्रश्न एक
अनसुलझा प्रश्न है जिसका उत्तर मात्र और मात्र आने वाले भविष्य में छुपा है______________जिसकी आकांक्षा में आप और मैं दोनों हैं--------------
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