बेटियों,
सृष्टि का आधार तुम,
तुमसे धरा, तुमसे गगन,
सूने जीवन का संचार तुम,
विधाता का दिया उपहार तुम,
शक्ति का वरदान तुम,
तुम हो तो, हम हैं,
वरन् अभिशप्त सा है ये चमन,
अभिशप्त सा है ये चमन...||
स्वरचित रश्मि श्रीवास्तव (कैलाश कीर्ति)
Daughter’s Day की इस अनुपम बेला में बेटियों को बधाई देने के साथ आइये आज हम सब संकल्प लें कि संसार की इस बगिया में खिले इन बेटी रूपी पुष्पों की चमक कभी फीकी नहीं पड़ने देंगे और “क्या हमारी और क्या आपकी”, ‘बेटी तो बेटी’ होती है की भावना को लेकर आगे बढ़ें और समग्र समाज को ही बेटियों का सुरक्षित आँगन बनाएँ जहां वो पढ़ें, लिखें, खेलें और अपने जीवन को बिना किसी बंधन के आजादी से जी सकें|
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