भारत एक ऐसा
देश जिसे दुनियाँ के सबसे colorful देश की संज्ञा से नवाजा जाये तो
ये अतिश्योक्ति न होगी, क्योंकि ये देश है ही ऐसा| यहाँ के लोगों की ज़िंदादिली, आशावादिता, भाग्य के भरोसे न रहने की दृढ़ता एवं संसाधनों की कमी के बावजूद हौसलों की
ऊंची उड़ान देख दुनियाँ दंग है| आखिर! हम भारतीय कैसे कर पाते
हैं इतना सबकुछ? तो जी हाँ, हमारी इस सोच
के पीछे छिपी होती है कुछ प्रेरक सौगातें, जिनका संबंध विपरीत
परिस्थितियों के बावजूद हमें ऐसा आधार प्रदान कर ही जाता है कि हम सबकुछ कर लेते हैं
और जहां तक यथार्थता की बात है तो 130 करोड़ की आबादी वाले दुनियाँ
के विशालतम देशों में शुमार भारत एक ऐसा देश है जहां का एक बड़ा तबका माध्यम वर्ग से
जुड़ा है और इन परिवारों में आने वाली पीढ़ियों को ज़्यादातर इन्हीं बातों की शिक्षा दी
जाती है कि वो जीवन में कैसे सफल व सशक्त बनें और ऐसा करने के लिए ये मध्यमवर्गीय परिवार
जिन चीजों का सहारा लेते हैं उनमें से एक होती है “सशक्त किरदार व प्रेरक संगीतों
से सुसज्जित Bollywood की हिन्दी फिल्में”, जिन्हें इसके आरंभ से लेकर आजतक के इतिहास ने “समाज का आईना” उपाधि से विभूषित
किया है और यही वजह है कि भारतीय सिनेमा आज हम भारतीयों के दिलों में बसता है| इनमें सजे संगीत अब हम सभी के सुख-दुख के साथी बन चुके हैं| आज जब चंद्रयान 2 (Chandrayan 2) की निराशा ने हमें पल भर के लिए झिंझोड़ा तो हमें एक ही बात देश के महान वैज्ञानिकों
से कहने का मन हुआ ______
“रुक
जाना नहीं तू कहीं हार के....(विनोद खन्ना अभिनीत फिल्म इम्तिहान)” ये है हमारी और हम सबकी आवाज जो Bollywood फिल्मों में फिल्माए गए गानों के साथ ऐसे घुल जाती है कि विविधता से भरे इस
राष्ट्र को एका के सूत्र में पिरो देती है|
आज जब कभी भारतीय
खिलाड़ी किसी विश्वस्तरीय मंच पर प्रदर्शन कर रहे होते हैं तो शाहरुख खान अभिनीत
“चक दे इंडिया” का वो गाना पूरे देश की पहचान बन जाता है और देशवासियों से मिले
हौंसले हमारे खिलाड़ियों के मनोबल को ऐसा बढ़ाते हैं कि कामयाबी उनके कदमों को चूम ही
लेती है और ये सिलसिले बदस्तूर जारी है|
अभी कुछ दिन
पहले Facebook के जरिये Bollywood संगीत की दुनियाँ में कदम रखने वाली
गायिका रानू मण्डल (Ranu Mandal) की कहानी भी हम भारतीयों के हिन्दी सिनेमा संगीत के प्रति हमारे लगाव को दर्शाती
है कि कैसे विपरीत परिस्थितियाँ होने के बावजूद उनके जेहन में फिल्मों के ये गीत गूँजते
रहे और न केवल गूँजते रहे बल्कि उन्हें एक नयी पहचान भी दे गए|
भारतीय हिन्दी
सिने जगत ने ऐसे अनगिनत गीत-संगीत हमारे देश को दिये हैं जिनको हम चाहे जिन अवसरों
पर हमारे जीवन में शामिल करें ये हमारे जीवन को एक नयी दिशा दे ही जाते हैं| ऐसे में मेरी बस यही कमाना है कि भारत के सिने जगत से निकलने वाली ये मधुरिम
स्वर गंगाएँ भारत राष्ट्र की जमीं को सदैव सिंचित करती रहें|
इसी आशा के साथ...
जय हिन्द... जय भारत!!!
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