Hindi Writing Blog: भारतीय लोकतन्त्र (Indian Democracy) पर प्रहार क्यों?

शनिवार, 28 सितंबर 2019

भारतीय लोकतन्त्र (Indian Democracy) पर प्रहार क्यों?


Indian Democracy

लोकतन्त्र अर्थात जनता द्वारा स्वयं चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन का चलाया जाना, जो किसी भी लोकतन्त्र को समझने के लिए पर्याप्त है और ऐसी ही कुछ व्यवस्था प्राप्त राष्ट्रों की श्रेणी में शुमार है हमारा देश भारत, जहां जनता का शासन, जनता से जनता के लिए चलाया जाता है, लेकिन भारत को मिली ये लोकतान्त्रिक व्यवस्था उसे सौगात में नहीं मिली, बल्कि वर्तमान में आबादी के हिसाब से दूसरे स्थान व क्षेत्रफल के हिसाब से सातवें स्थान पर कायम भारत के लोगों के असीम बलिदान और त्याग के लंबे सिलसिले का परिणाम है ये भारतीय लोकतन्त्र (Indian Democracy) जिसनें सन् 1947 में मिली पूर्ण आजादी के बाद न केवल इस परंपरा को निभाया है अपितु आज भी इसके 73वें स्वतंत्रता दिवस तक इसके निर्वहन की गति अबाध रूप से जारी है जिसके चलते भारतीय लोकतन्त्र भारत के लोगों के अन्तर्मन में आज भी विशिष्ट स्थान पर काबिज है और शायद इसीलिए हमारा राष्ट्र भारत आज पूरी दुनियाँ के लिए अनुकरणीय लोकतंत्र का दर्जा हांसिल करता है, लेकिन बीते कुछ वर्षों से इसी लोकतन्त्र पर बार-बार प्रहार किए जा रहे हैं जिसका ताजातरीन उदाहरण है दुनियाँ के प्रख्यात पत्रकार ब्रायन क्लास (Brian Klass) का जिन्होने इंडिया टुडे कानक्लेव (India Today Conclave) 2019 के कार्यक्रम मंच को साझा करते हुए कहा “भारत में लोकतन्त्र खत्म होने वाला है, वर्तमान प्रधानमंत्री की नीतियाँ इसे खत्म कर देंगी” इतना ही नहीं इससे आगे बढ़कर उन्होने कहा कि “चुनाव महज लोकतन्त्र की शुरुआत है, निष्कर्ष नहीं|उनके द्वारा कहे गए इन शब्दों का आधार क्या था, ये तो मुझे नहीं पता लेकिन इतना जरूर कहूँगी कि आखिर क्यों इतने बड़े मुल्क में कोई भी तर्क लोकतन्त्र को समाप्त करने के दु:स्वप्न तक लाकर छोड़ दिया जाता है| क्या किसी भी राजनीतिज्ञ का दलहित से ऊपर उठकर देशहित में सोचना लोकतन्त्र के खात्मे का अवसर हो सकता है? माना आज भारत की अर्थव्यवस्था अनेकों संकटों से जूझ रही है, जैसा की आंकड़े दर्शाते हैं, GDP 5% है, Manufacturing Growth घटकर 0.6% पर आ गयी है और बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) 45 साल के उच्च स्तर पर है, लेकिन क्या सरकार द्वारा प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, कुछ एक नीतियों से सरकार के कार्यों का हम समग्र मूल्यांकन कर उसे लोकतन्त्र की अस्मिता से जोड़ दें तो ये कहाँ तक सही है, ये भी तो हो सकता है चंद लोगों की वो सोच हो, आम जन इससे परे हों| इतना बड़ा देश है, इतने लोग हैं और लोगों की अलग-अलग सोच है, पर इन सब के बावजूद भारत के विकास की गति अनेकों मोर्चों पर लगातार जारी है| लोगों के जीवन स्तर में अनुकूल प्रभाव दर्ज हो रहे हैं, जिसकी गवाही के लिए हमें ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं वो हमें आस-पास मौजूद लोगों से महसूस हो रही है| आज भारत में हर किसी को अभिव्यक्ति की आजादी है, क्या ये सारी चीजें काफी नहीं लोकतन्त्र को प्रस्तुत करने के लिए? आखिर क्यों एक बार नहीं, बार-बार भारतीय लोकतन्त्र की अस्मिता पर प्रहार होता है? क्यों कोई दल चुनाव हार जाता है तो लोकतन्त्र खतरे में आ जाता है? ये है क्या? ये सबकुछ भारत की उस सोच का अपमान है जिसमें भारत और भारतीयों ने वसुधैव कुटुंबकम” की परंपरा दुनियाँ को दी, जो राष्ट्र पूरी वसुधा को परिवार बनाने की कल्पना को लेकर चलता हो उसके नागरिक क्या अपने देशहित की बात आने पर पीछे हट जाएंगे? इतिहास गवाह है, न ऐसा कभी हुआ है, न कभी होगा| इस उम्मीद के साथ कि भारत और भारत का लोकतन्त्र सदैव जनता और इसके सेवकों द्वारा सिंचित होता रहे  जय हिन्द, जय भारत...


2 टिप्‍पणियां:

  1. बोहोत अच्छा लेख लिखा है आपने। भारत मे लोकतंत्र की जड़े बोहोत गहरी है इन्हें कोई नही हिला सकता ।लोकतंत्र मैं पक्ष और विपक्ष दोनों का महत्व है परंतु मौजद समय मे विपक्ष को जिस तरह दबाया जा रहा है और अलग विचार रखने वालों को देश द्रोही घोसित किया जा रहा है ये सामान्य नही है, इमरजेंसी की दुहाई देते देते आज तकरीबन वैसे हालात कश्मीर मैं है। और अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाए जाने की कोशिशें होती रहती है। लेकिन यह समय भी जरूर गुजर जाएगा क्योंकि हम भारतियों मैं लोकतंत्र की जड़े गहरी है। नमस्कार😊🇮🇳

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  2. बोहोत अच्छा लेख लिखा है आपने। भारत मे लोकतंत्र की जड़े बोहोत गहरी है इन्हें कोई नही हिला सकता ।लोकतंत्र मैं पक्ष और विपक्ष दोनों का महत्व है परंतु मौजद समय मे विपक्ष को जिस तरह दबाया जा रहा है और अलग विचार रखने वालों को देश द्रोही घोसित किया जा रहा है ये सामान्य नही है, इमरजेंसी की दुहाई देते देते आज तकरीबन वैसे हालात कश्मीर मैं है। और अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाए जाने की कोशिशें होती रहती है। लेकिन यह समय भी जरूर गुजर जाएगा क्योंकि हम भारतियों मैं लोकतंत्र की जड़े गहरी है। नमस्कार😊🇮🇳

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