Hindi Writing Blog: मई 2019

रविवार, 26 मई 2019

मेरा भारत बदल रहा है...


Indian Election


























दोस्तों! सन 2019 में सम्पन्न हुए चुनाव परिणामों के घोषित होने के बाद मेरे राष्ट्र और इसके राष्ट्रवासियों की जो तस्वीर निकल कर आयी है, उसे देखकर वाकई ये एहसास हो रहा है कि मेरा देश बदल रहा है...
इन चुनावों ने एक बात तो सिद्ध कर दी कि पूरे भारत में 21वीं सदी की सही दस्तक तो अब अपनी दमक दिखाती नजर आ रही है, क्योंकि सम्पूर्ण भारत में आयी digitalization क्रांति ने गावों से शहर, शहरों से प्रांत और प्रान्तों से राष्ट्र को ऐसा जोड़ा है कि पूरे भारत के लोगों में जागरूकता का जो दिव्य दर्शन इस चुनाव में निकलकर सामने आया वो वाकई काबिले तारीफ है| आजादी के बाद पहली बार रिकॉर्ड प्रतिशत मतों की अभिव्यक्ति इस बात का सीधा प्रमाण है कि मेरा भारत अब बदल रहा है| हर एक देशवासी को अब ये भान हो चुका है कि दुनिया के इस महान लोकतन्त्र में एक वोट (Vote) की कीमत क्या है? इसके अलावा इस लोकतान्त्रिक (Democratic) घटनाक्रम के बाद पूरी दुनिया को ये भी पता चला कि अब भारतवासियों ने पुरानी कुरीतियों का दामन छोड़ दिया है और वो अब सिर्फ और सिर्फ अपने राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं, इसीलिए भारत राष्ट्र की जो एकता इस लोकतान्त्रिक पर्व की सकुशल संपन्नता के साथ नजर आयी वो तो कम से कम यही सिद्ध करती है| पुराने ढर्रेवादी राजनीतिक सोच को पीछे छोड़ अब मेरा भारत अपने राष्ट्र का हित सोच रहा है, भारतीयों के समग्र विकास के लिए इससे सहज क्या हो सकता है| इसके अलावा लोकतन्त्र के इस विजयी परिणाम के बाद धार्मिक सद्भाव (Religious Harmony), जातिवाद (casteism) के कुचक्र से मुक्ति, क्षेत्रवाद के प्रति विरक्ति जैसी जनभावनाएँ भी चुनाव परिणाम के बाद निकलकर सामने आयीं, जो हमारे राष्ट्र को अब एकता के सूत्र में बांधने के संकेत दे रही हैं जिसका इंतज़ार आजादी के बाद से भारत को अब तक था और शायद ऐसा इसलिए भी संभव हो पाया है क्योंकि अब स्वयं भारत में रहने वाले लगभग प्रत्येक व्यक्ति ने अपने आप को मुख्य विचारधारा से जोड़ना शुरू कर दिया है, दूसरे शब्दों में हम ये कह सकते हैं कि संस्थानों और सरकारों के प्रयास से भारत के प्रत्येक गावों में अब जागरूकता आने लगी है जो भारत के आने वाले सुनहरे कल के सपने हमें देखा रही है|

मेरा तो अब बस यही मानना है यदि हम सभी भारतवासी एकजुट हो जाएँ तो किसी के भी खाते में कोई समस्या न होगी| हम स्वयं एक दूसरे के लिए वो सेतु बन जाएँ जहां से निर्धनता (Poverty), अशिक्षा (Illiteracy), भुखमरी(Starvation), वैमनस्यता(Animosity) जैसी बुराइयाँ पनपने से पहले ही अपना दम तोड़ दें| मैंने भी न बातों को कहाँ से कहाँ जोड़ दिया, मुझे तो बस आपके साथ उस खुशी को बांटना है जिसमें विदेशी आक्रांताओं से दबे कुचले भारत ने अब खुल कर जीना सीख लिया है__________बधाई हो मेरे देश अब हम बदल रहे हैं और हमारा ये बदलाव ही हमारे देश की नयी तकदीर लिखेगा जिसका गुणगान पूरी दुनिया गाएगी, इसी उम्मीद के साथ.....जय हिन्द, जय भारत

भारतीय जनमानस की जीत पर बधाई संदेश
























अपने लेखों की शृंखला को पुनः प्रारम्भ करने से पूर्व मैं आप सभी को देश के महान लोकतान्त्रिक उत्सव के सकुशल सम्पन्न होने और हमारे राष्ट्र भारत में एक बार फिर लोकतान्त्रिक सरकार के निर्वाचित किए जाने की बहुत-बहुत बधाई देती हूँ, साथ ही दुनिया के इस महान लोकतान्त्रिक देश के समक्ष स्वयं को नतमस्तक करती हूँ क्योंकि इस राष्ट्र ने हम सब को न जाने कितना कुछ दिया है, परंतु बदले में वो सिर्फ हमसे इस राष्ट्र के प्रति उस प्रेम का समर्पण चाहता है जिसमें माँ भारती के सभी बच्चे एक साथ विविधता के रंगों से निकलती सुनहरी किरणों से एक दूसरे को देदीप्यमान करते हुए सामाजिक समरसता की भावना में लिप्त रहें और इस राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते रहें|

रविवार, 19 मई 2019

देश प्रगति में बाधक बनी सामाजिक समस्याओं का समाधान अनिवार्य है




Social Issues


जिद हो बदलने की,
बदल सकता जहां ये है।
अगर दृढ़ हों इरादें तो,
संवर सकता जहां ये है॥
चलो मिलकर सजाएँ हम,
नया भारत बनाएँ हम।
नया भारत बनाएँ हम

हमारा राष्ट्र भारत(India) जिसका तिरंगा(National Flag) जब दुनिया के किसी भी कोने में फहराया जाता है, तो ये भारतीय के मन को झंकृत कर जाता है और ऐसा हो भी क्यों न, क्योंकि हम सब की शान है हमारा तिरंगा, जो न केवल हमारे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है अपितु हम 120 करोड़ भारतवासियों को भी प्रस्तुत करता है। गर्व होता है हमें अपने देश की उपलब्धियों को देखकर, फिर वो चाहे किसी भी क्षेत्र से क्यों न हों, लेकिन हम सब ये जानते हैं कि हमारी ये कामयाबी हमें एक दिन में नहीं मिली है, कैसे और कितना कुछ न्योछावर करके हमारे राष्ट्र ने आज ये मुकाम हांसिल किया है। एक तरफ हमारे राष्ट्र की प्रगति, हमारे मस्तक को गर्व से ऊंचा करती है तो वहीं दूसरी ओर प्राचीन काल से चली आ रही कुछ कुरीतियों के साथ कुछ आधुनिक समस्याएँ भी हमारे भारतीय समाज में व्याप्त हैं, जो हमें ये सोचने के लिए मजबूर करती हैं कि यदि हम सभी अपने राष्ट्र को और ऊंचाई पर देखना चाहते हैं तो हमारे समाज का समग्र विकास इसके लिए अत्यंत अनिवार्य है।
Poverty

आज हम सभी 21वीं सदी में जी रहे हैं और इस आधुनिकता से भरे वातावरण में भी बहुत सी समस्याएँ अपना फन फैलाये भारत राष्ट्र की उन्नति को रोकने के लिए तैयार बैठी हैं, जिनका समाधान हम सब को मिलकर ही करना होगा, क्योंकि जिस दिन समाज का प्रत्येक व्यक्ति इससे निपटने का जिम्मा संभाल लेगा उस दिन अवश्य ही ये परिवर्तन हमारे राष्ट्र को परिवर्तित कर देगा और ऐसा मैं इसलिए नहीं कह रही कि हम अकेले कुछ नहीं कर सकते, इतिहास गवाह है कि सती प्रथा जैसी भयावह कुरीति को समाप्त करने वाले राजा राममोहन राय भी अकेले ही थे जिन्होने ऐसा किया, फिर हम क्यों नहीं? इस आधुनिक काल में जहां पूरी दुनिया चाँद पर पहुँचने का ख्वाब सजा रही है वहीं हमारे भारत में आज भी प्राचीन परम्पराओं का पालन करते हुए बाल श्रम(child labor), महिलाओं के साथ भेदभाव(women inequality), भ्रूण हत्या(foeticide), बाल विवाह(child marriage), दहेज प्रथा(dowry custom), जातिवाद(casteism) अंधविश्वास(superstition) जैसी कुरीतियों के साथ कुछ अन्य समस्याएँ भी हैं जिनसे निपटने के लिए तो समाज के हर व्यक्ति हो आगे आना होगा और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए इस राष्ट्र में साफ-सफाई लानी होगी, साक्षारता को और बढ़ावा देना होगा, मदिरापान(Drinking) और अपराध(crime) को नियंत्रित करना होगा, भूखमरी(Starvation) और गरीबी(Poverty) के लिए समूहगत होकर गावों से लेकर शहरों की गलियों तक संस्थानों और सरकारों की मदद के लिए आगे आना होगा क्योंकि ये सारी चीजें जब एक साथ बढ़ेंगी तभी हमारा राष्ट्र इन समस्याओं से मुक्त होगा| तो मात्र लेखन-पठन तक न रुककर हम सभी अपनी क्षमतानुसार इस मुहीम को अपना हिस्सा बनाएँ और राष्ट्र के प्रगति के साक्षी बनें।
जय हिन्द जय भारत...

रविवार, 12 मई 2019

विविध धर्मों की आंतरिक खूबसूरती ही तो जीने की कला सिखाती है.....

World Culture and Religion

धर्म (Religion) एक ऐसा मसला है जिसपर पूरी दुनियाँ में एक नहीं हजारों बार हिंसक प्रदर्शन हो चुके हैं लेकिन शायद जब कभी भी किसी धर्म के नाम पर हम ऐसा करते हैं, हम भूल जाते हैं कि वास्तव में धर्म एक ऐसी खूबसूरत सी- डगर है जिसपर चलकर इस समाज को एक बार नहीं न जाने कितनी बार सही दिशा का ज्ञान भी प्राप्त हुआ है, तो ऐसे में हमें मात्र इसके खूबसूरत पहलू को लेकर न केवल चलना चाहिए अपितु उसी को आगे भी बढ़ाना चाहिए| सदियाँ गवाह हैं कि मानव सभ्यता के जन्म के साथ ही मनुष्य के सांस्कृतिक विचारों (Cultural thoughts) ने भी जन्म लेना प्रारम्भ कर दिया और जिसके फलस्वरूप इस संसार में अनेकों धर्मों और मतों ने जन्म लिया और जिसके फलस्वरूप धीरे-धीरे ये दुनियाँ रंगीन और खूबसूरत हो गयी क्योंकि इंसान के विकसित स्वरूप के साथ जहां धर्म और मत आए वहीं दूसरी ओर आया अनेकों तरह के सांस्कृतिक (Cultural), आर्थिक (Economical), राजनीतिक (Political) और सामाजिक (Social) व्यवहारों के आदान प्रदान की क्रियाओं (actions) और प्रतिक्रियाओं (Reactions) का दौर, जिन्होने अतीत से लेकर वर्तमान तक सिर्फ और सिर्फ मानव जीवन को संवारा है| ऐसा कहना इसलिए भी यथार्थ (Equitable) हो जाता है क्योंकि एक बारगी हम अपने मन को स्थिर कर बस इतना भर सोचें कि जिस समाज को कई सारे परिवार मिलकर निर्मित करते हैं उनमें से प्रत्येक परिवार अलग-अलग धर्मों से भी आते हैं यानि हर परिवार में अपने बच्चों को धर्म की सही तालीम, सही खूबसूरती कितनी बारीकी से पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाई जाती है जिनके आधार पर एक सशक्त व्यक्ति का जन्म होता है जो इस समाज को एक नयी दिशा देने में अपनी अहम भूमिका निभाता है|


आज मैंने धर्मों की इस खूबसूरती का ताना-बाना इसलिए बुना है क्योंकि मैंने इन चीजों को खुद महसूस किया है कि कैसे एक माँ अपने बच्चे को विविध धर्मों की अच्छी सीखों का पाठ पढ़ाती है ताकि उसका बच्चा आने वाले भविष्य में सुसज्जित इंसान का आकार प्राप्त कर सके और इतना ही नहीं कैसे दुनिया भर के विविध धर्मों से जुड़े लोग जब कोई त्योहार मनाते हैं तो उसकी गूंज हर किसी के कानों में पड़ती है, कितना अच्छा लगता है खुशियों के वाहक, धर्म की मर्यादा को बढ़ाना..... जो केवल रोचक(Interesting) ही नहीं अपितु अंतहीन(Endless) भी है|
जो जिस नजरिए से देखता है उसे धर्म की परिभाषा वैसी ही नजर आती है, यदि हम धर्म के कुछ विशिष्ट पहलुओं पर जाएँ तो हमें बस इसी चीज का ज्ञान होगा कि धर्म वास्तव में एक ऐसी विधा है जो संसार के विभिन्न समूहों(Groups) को तैयार तो करती है परंतु मात्र इसलिए कि जब ये समूह आपस में जुड़ें तो अपनी अच्छाइयों से एक दूसरे को लाभान्वित कर सकें क्योंकि केवल एक चीज पूरी तरह परिपक्व कभी नहीं होती शायद इसीलिए इन अच्छाइयों के विभाजन से जो खूबसूरती निकलती है वही तो हमें जीने की कला सिखाती है|

Happy Mother's Day



























माँ और उसकी ममता विधाता द्वारा रचित सृष्टि की ऐसी अनमोल कृति जिसने इस संसार को सदैव अपने आँचल से सिंचित और पल्लवित किया है, आज उसी माँ के शुभकामनाओं भरे दिन के सुअवसर पर दुनियाँ भर की माँओं के चरणों का वंदन करती मेरी कुछ पंक्तियाँ:

ममता से रची है ये,
दुनिया खूबसूरत सी|
जो बरसी है नियामत बन,
किसी बगिया के फूलों सी||
कहीं आंचल से छलकी है,
कहीं नैनो से बरसी सी|
ममता से रची है ये,
दुनिया खूबसूरत सी
  स्वरचित: रश्मि श्रीवास्तव (कैलाश कीर्ति)

शनिवार, 4 मई 2019

दिल दलहलाने वाले घटनाक्रमों से आहत मानव-जीवनधारा

Terrorism Impact

























पिछले हफ्ते पूरी दुनिया से जिस तरह के दिल दहलाने वाले घटनाक्रम हम सबके सामने आए, उन सब से हमारा मन आहत तो होता ही है और हम ये समझ नहीं पाते कि ऐसा क्यों हो रहा है? वैसे तो जब भी हम समाज में अपने इर्द-गिर्द नजरें दौड़ाते हैं तो न जाने कितने घटनाक्रमों से हमारा सामना होता है जो न केवल अप्रिय होती हैं अपितु हमारे दिल को भी एक अंजाने भय से दहला जाती हैं|

आज जब कभी भी मैं अपने देश के अप्रिय समाचारों से नजरें बचाने के लिए दुनिया के गलियारों में झाँकती हूँ, तो वहाँ भी मुझे वही नजारा देखने को मिलता है जो मानव-जीवनधारा को ही रौंदने पर आमादा है और जिसके घटित होने के पीछे कोई अदृश्य ताकत नहीं बल्कि स्वयं इंसान ही है जिसकी बुद्धिमत्ता का लोहा पूरी दुनिया मानती है| न जाने ऐसा क्यों हो रहा है, इसका उत्तर ढूंढते-ढूंढते हम सब भले थक जाएँ पर इन घटनाक्रमों को अंजाम देने वाले नहीं थकते और जिसका परिणाम हैं ये दिल दहलाने वाली घटनाएँ!!!

ये कैसी लड़ाई हैऔर किसके विरुद्ध हैकुछ समझ ही नहीं आतामाना कि इंसानी फितरत में लड़ाई भी शामिल है लेकिन वो मात्र स्वस्थ् प्रतिस्पर्धा के लिए है न कि मानव जीवन का ही गला घोटनें के लिएअभी पिछले हफ्ते श्रीलंका (Sri Lanka) में जो कुछ हुआउसने मन को इतना आहत किया कि आखिर ऐसा क्यों हुआजिस बुद्ध कि धरती से दुनिया के लिए शांति संदेश निकलना चाहिए वहाँ न जाने कितने निर्दोषों ने अपने ईश को पूजते-पूजते अपनी जान गवां दीदिल दहल गया कि आखिर कब बंद होगा ये सबवहीं दूसरी ओर भारत (India) सहित दुनिया के अन्य देशों अमेरिका (US)ऑस्ट्रेलिया (Australia) और लीबिया (Libya) से भी मानव धन की कीमत पर हांसिल की जा रही जीत अन्तर्मन को अंदर तक छलनी कर देती है|

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा हैआज न जाने कितने वर्षों से ये सब हो रहा हैबस अब तरीका बदल गया है और डर लगता है इससे कि कहीं ये तरीका मानव जीवन के वजूद को ही न खत्म कर देवैसे तो हमारे पड़ोस में किसी के द्वारा की गयी आत्महत्या जैसी घटना भी हमारे दिल को दहलाने के लिए पर्याप्त होती है फिर ऐसे में इतनी बड़ी घटनाएँ हमें कुछ दिनोंकुछ सालों के लिए सकते में डाल जाती हैं|

कभी-कभी तो मन सोचता है कि हमारी इस दुनिया में इतना भटकाव क्यों है? क्या ये कारवां यूं ही चलता रहेगा या इसमें कुछ बदलाव भी कभी आएगा? क्या आप सब को यह नहीं लगता कि एक बार फिर इस धरती पर महात्मा बुद्ध और महावीर जैन जैसे शांति दूतों का आगमन नहीं होना चाहिए? आखिर हम सबके इस धरती पर होने का मतलब क्या है? हम क्यों विवश होते हैं एक खुशनुमा जिंदगी के स्वप्न से परे होने को? क्या इस धरती पर समस्याएँ कम हैं, जो इस धरती पर हम इंसान क्षण प्रति क्षण नयी-नयी समस्याएँ पैदा करते जा रहे हैं? ये प्रश्न एक अनसुलझा प्रश्न है जिसका उत्तर मात्र और मात्र आने वाले भविष्य में छुपा है______________जिसकी आकांक्षा में आप और मैं दोनों हैं--------------