Hindi Writing Blog: एलोपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति का एक तुलनात्मक अध्ययन

शनिवार, 10 नवंबर 2018

एलोपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति का एक तुलनात्मक अध्ययन


विश्व पटल पर आज अमेरिका से आये इस समाचार ने पूरे विश्व में आज इस बात को और गति प्रदान कर दी है की चिकित्सा के क्षेत्र में भारतीय आयुर्वेदिक पद्दति एलोपैथिक पद्दति से ज्यादा उपयुक्त है| ऐसे इस लिए है क्योंकि अमेरिका के एक जर्नल में प्रकशित एक लेख ने किडनी के बीमारी को न बढ़ने से रोकने के लिए भारतीय पद्दति में प्रचलित पौष्टिक आहार के परंपरा और भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति को ही उपयुक्त माना है अर्थात चरक और सुश्रुक की देन कहे जाने वाले आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति का लोहा आज पूरी दुनिया ने मान ही लिया|

                    आज हम अगर स्वस्थ्य के नज़र से पूरी दुनिया पर नज़र डालें तो हम पाते हैं जहाँ एक तरफ अवयवस्थित जीवन शैली और खान पान ने डायबटीज़ और हाइपरटेंशन (ब्लड प्रेशर) की बीमारी ने पूरी दुनिया के १४३ मिलियन लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है इसके अलावा ह्रदय रोग, कैंसर, ब्रेन स्ट्रोक जैसे बीमारियों के खतरे मानवीय जीवन का समापन करने के तो मानो प्रवाहक बन गए हैं लेकिन अगर हम एलोपैथिक चिकित्सा पद्दति से परे हट कर आयुर्वेदिक चिकत्सा पद्दति को अपनाये तो इन बीमारियों को नियंत्रित करने में ज्यादा सक्षम पाएंगे ऐसा शोधों से सिद्ध हो चुका है| एलोपैथिक दवाओं की तुलना में अगर आयुर्वेद में उपलब्ध औषधिओं के साथ ही योग और पौष्टिक आहार को भी जीवनशैली का हिस्सा बना पाएं तो डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं से एक हद्द तक निपटना आसान हो जायेगा| 


                    हमारी आयुर्वेदिक पद्दति के चिकित्सा में तो मधुमेय से लड़ने के लिए उपलब्ध औषधियां ऐसी हैं जिनके हम रोज़ मर्रा के भी दैनिक चर्या में भी इस्तेमाल करते हैं जैसे मोमोर्डिका, चरन्तीए (बिटर मेलॉन यानि करेला) ये शरीर में न केवल शुगर लेवल को नार्मल करता हैं अपितु ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करने में भी सक्षम हैं| ये इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनता हैं| गैमनेमासिलवेट्रे ये एक हर्ब हैं जो शुगर लेवल को मैनेज करती हैं, इसी प्रकार अन्य हर्ब भी हैं जो हमारे किचन में उपस्थित हैं जैसे पेट्रोकॉर्पस, मारसुबियम, सलाकिएरेट्रेकुलट्टा, करकमलोंगा (टर्मेरिक), जम्बोलाना (जामुन) जैसे अनगिनत औषधियां हैं| इसके अलावा ह्रदय रोग को ठीक करने की सबसे कामगार औषधि है - अर्जुन चूर्ण व लौकी जूस का नियमित सेवन, कैंसर के लिए गौमूत्र पीना लाभकारी है| इस तरह भारतीय आयुर्वेदिक पद्दति के जरिये अगर हम वर्तमान में बीमारियों को दूर करने का प्रयास करें तो एलोपैथिक चिकित्सा पद्दति की तुलना आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति में संभावनाएं ज्यादा हैं| आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति मनुष्य को बीमारी शुरू होने के पहले ही क्योर करने का मार्ग दीखता है पर एलोपैथिक चिकत्सा पद्दति में हम बीमारी होने के बाद उसके दुरस्तीकरण के लिए उसके शरण में जाते हैं| मेरा तो यही मानना है कि "जान है तो जहान है" की परंपरा पर चल कर प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन के मूल्य को समझाना होगा और "प्रिवेंशन इस बेटर देन क्योर" के फॉर्मूले को अपने जीवन में शामिल करना होगा|

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