Hindi Writing Blog: हम सबका गर्व - हिंदी

शनिवार, 10 नवंबर 2018

हम सबका गर्व - हिंदी




14 सितम्बर (हिंदी दिवस)_______________एक अविस्मरणीय तिथि, जो साकार स्वरुप है उस विचारधारा का जो अतीत से कर वर्तमान तक हिन्द राष्ट्र की अविरल बहती हिंदी रूपी धारा से न केवल भारत अपितु दुनिया के कोने-कोने को सिंचित कर रही है|

भारत अंतराष्ट्रीय मानचित्र पर रेखांकित एक ऐसा देश है जिसकी गौरवमयी ऐतहासिक गाथा के गान से सम्पूर्ण विश्व गुंजायमान हो रहा है| ऐसे में भारत की पहचान को और भी सशक्त, समृद्ध और समग्र बनाने में इस देश की राष्ट्रभाषा का योगदान भी कम प्रशंसनीय नहीं है| परन्तु आज हिंदी के इस सम्मानजनक अवस्था में पदार्पित करने के पूर्व इससे जुड़े इतिहास का भी आकलन महत्वपूर्ण हो जाता है क्यूंकि चर्चा ही "हिंदी की समग्रता" की है|

भारत एक ऐसा राष्ट्र, जिसकी धन्यता और सम्पन्नता की कहानियों ने सदैव से दुनिया भर के आक्रांताओं को अपनी तरफ आकर्षित किया है और जब ये आक्रांता भारत-माता की सीमाओं में प्रविष्ट हुए तो निरंतर दोहन की उनकी मानसिकता ने उन्हें यहाँ रुकने के लिए मजबूर कर दिया और इसी के चलते भारत राष्ट्र और भारतीय जनमानस ने अनगिनत वर्षों तक गुलामी की कैद में स्वयं को ही तर्पित कर दिया |

परन्तु इतिहास ने करवट ली और भारत माता के वीर सपूतों के शौर्यवान प्रदर्शन ने 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी के रथों पर बिठाकर विश्व मंच के पटल पर प्रेषित कर दिया लेकिन माँ भारती के नीति-निर्माताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी वो थी एक ऐसी भाषा जो भारत माँ को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक-एका के सूत्र में पिरो सके क्यूंकि पूर्व से ही विविध भाषाओँ से परिपूर्ण भारत को अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए अंग्रेजों ने अंग्रेजी भाषा के भरपूर प्रयोग से आच्छादित कर रखा था लेकिन भारत का एक बड़ा हिस्सा इससे भी अछूता था|

लिहाजा अंग्रेजी भाषा के बढ़ते प्रचलन को रोकने और स्वयं के भाषा की तरजीह देने की जद्दोजहद के बीच भारत के नीति-निर्माताओं ने आज ही के दिन 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दे दिया| तब से लेकर आज तक हिंदी सदैव पुष्पित और पल्लवित हुई है|

परन्तु दुःख इस बात का है कि सम्पूर्ण विश्व की भाषा बन चुकी अंग्रेजी ने आज तक इसके सरल पथ को जटिल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है| आधुनिकता और दिखावे की चादर में लिपटा भारतीय जनमानस का एक तबका हिंदी आते हुए भी उससे एक दूरी बनाये हुए है, कहीं-कहीं अंग्रेजी बोलना स्टेटस सिंबल तक बन गया है फिर भी इन सभी नकारात्मक मनः स्तिथियों के होते हुए भी भारत की गर्व बनी हमारी भाषा हिंदी आज दुनिया के प्रत्येक कोने में सम्माननीय दर्जा पाने में सफल सिद्ध हो रही है|

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